नयी दिल्ली : केंद्र सरकार के कर्मियों के न्यूनतम वेतन में संशोधन अब अप्रैल 2018 से पहले होने की उम्मीद नहीं है. केंद्रीय कर्मियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये से बढ़ा कर 21 हजार रुपये करने का मामला सरकार के पास विचारार्थ है, जिसे पहले एक जनवरी 2018 से लागू किये जाने की संभावना थी. लेकिन, अब वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार ऐसा फैसला अब पहली अप्रैल 2018 से ही लागू करेगी.
इसकी वजह भी है. वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा वेतन विसंगतियों पर विचार के लिए गठित नेशनल एनोमॉली कमेटी ने अबतक सरकार को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है. सूत्रों का कहना है कि 15 दिसंबर 2017 से पहले यह कमेटी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और फिर उसके बाद उसे कैबिनेट में भेजा जायेगा. सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार बढ़े वेतन काे पिछली तारीख से एरियर के रूप में देने के प्रस्ताव को खारिज कर देगी.
दरअसल, सरकार और वित्त मंत्रालय अभी जीएसटी के सफल क्रियान्वयन में व्यस्त है. हाल में 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब वाले ज्यादातर वस्तुओं को उससे बाहर कर उन्हें 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है. इससे सरकार को राजस्व का प्राथमिक तौर पर नुकसान होगा. ऐसे में सरकार खजाने पर बोझ बढ़ाने के लिए दूसरे कदम उठाने से स्वाभाविक रूप से झिझकेगी. राजकोषीय घाटा बढ़ने के भय से मौजूदा वित्त वर्षमेंऐसा कोई फैसला लागू करना मुश्किल होगा.
सातवां वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर 2.57गुणावेतन वृद्धिसभी स्तर के कर्मचारियों केलिए की गयी थी. जिसके तहत न्यूनतम वेतन सात हजार रुपये से बढ़ाकर18 हजार रुपये एवं अधिकतम वेतन 80 हजार रुपये से बढ़ा कर 2.5 लाख रुपये कर दी गयी थी. कर्मचारी संघों ने इसे निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए फिटमेंट फैक्टर पर 3.68 गुणा करते हुए न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने की मांग की थी. पर, सरकार इस मांग को मानने को तैयार नहीं हुई. ऐसे में इसे फिटमेंट फैक्टर पर तीन गुणा करते हुए 21 हजार रुपये करने पर ही सहमति बनने की संभावना है.
सरकार न्यूनतम वेतन की सीमा चार सदस्यों के परिवार के लिए 21 हजार रुपये करने पर इस आधार पर विचार कर रही है, ताकि वे हर आवश्यक सुविधाएं हासिल कर सकें. मालूम हो 1947 में पहले वेतन आयोग के अनुरूप निचले स्तर पर एवं ऊपरी स्तर के कर्मियों की तनख्वाह में 1 : 41 का अंतर था, जो कम होते-होते 2006 में छठे वेतन आयोग की सिफारिश के अाधार पर 1 : 12 हो गया था. हालांकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के बाद यह अनुपात थोड़ा बढ़ कर 1 : 14 हो गया. यह अनुपात कर्मचारी संघों के तर्क को एक मजबूत आधार देता है, जिससे न्यूनतम वेतन वृद्धि की संभावना भी मजबूत होती है.
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