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साल 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा. इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग को, जिसमें ज्यादातर वेतनभोगी तबका आता है, बड़ी राहत देने पर सक्रियता के साथ विचार कर रही है. सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत मिलनी चाहिए.
सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में टैक्स स्लैब में व्यापक बदलाव कर सकते हैं. पांच से 10 लाख रुपये की सालाना आय को 10 फीसदी टैक्स दायरे में लाया जा सकता है, जबकि 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी और 20 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 फीसदी की दर से कर लगाये जाने की उम्मीद है.
उद्योग मंडल सीआईआई ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है कि मुद्रास्फीति की वजह से जीवनयापन लागत में काफी वृद्धि हुई है. ऐसे में निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिए आयकर छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ अन्य स्लैब का फासला भी बढ़ाया जाना चाहिए. उद्योग जगत ने कंपनियों के लिए कंपनी कर की दर को भी 25 प्रतिशत करने की मांग की है.
हालांकि, सरकार पर राजकोषीय दबाव को देखते हुए उसके लिए इस मांग को पूरा करना मुश्किल लगता है. जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की अप्रत्यक्ष कर वसूली पर दबाव बढ़ा है. इस साल के बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछले दिनों ही बाजार से 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार उठाया है.
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