नयी दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक ने स्पष्ट किया है कि उसके साथ सहयोगी बैंकों के विलय के बाद ग्राहकों के इन बैंकों में एक से ज्यादा खाते होने की वजह सेवित्त वर्ष के दौरान अपेक्षाकृत कुछ ज्यादा खाते बंद हुए.
बैंक ने यह स्पष्टीकरण उस समाचार के प्रकाशित होने के बाद जारी किया है जिसमें कहा गया कि स्टेट बैंक में 41.16 लाख बचत खाते बंद हुए हैं. इसमें कहा गया है कि औसत न्यूनतम मासिक शेष की व्यवस्था शुरू होने के बाद स्टेट बैंक ने ये खाते बंद किये हैं.
बैंक की यहां जारी विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि अप्रैल 2017 में स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों का उसके साथ विलय होने के बाद यह स्थिति बनी है.
ग्राहकों के अलग-अलग सहयोगी बैंकों और स्टेट बैंक में कई खाते होने की वजह से वर्ष के दौरान बंद होने वाले खातों की संख्या कुछ ज्यादा रही. बैंक ने कहा है कि उसके पास 41 करोड़ बचत खाते हैं.
चालू वित्त वर्ष के दौरान 2.10 करोड़ बचत बैंक खाते खोले गये, जिसमें से 1.10 करोड़ खाते प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खोले गये. ये खाते न्यूनतम औसत मासिक शेष की अनिवार्यता से मुक्त हैं.
स्टेट बैंक संपत्ति, जमा राशि, मुनाफा, शाखाओं और ग्राहकों के साथ साथ कर्मचारियों के लिहाज से देश का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बैंक है. बैंक ने यह भी कहा है कि एक अप्रैल 2018 से न्यूनतम जमा शेष नहीं होने पर लगने वाले सेवा शुल्क में 75 प्रतिशत तक कटौती कर दी गयी है.
बैंक ने कहा है कि ऐसे ग्राहक जो अपने खाते में जरूरी औसत मासिक शेष राशि रखने में समर्थ नहीं हैं उनके लिए नियमित बचत खाते को बेसिक बचत बैंक जमा खाते (बीएसबीडी) में परिवर्तित करने का विकल्प दिया गया. इस खाते में किसी तरह का कोई शुल्क अथवा फीस नहीं लगती है.
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