Air India की एयर होस्‍टेस ने एक सीनियर अधिकारी पर लगाया यौन उत्‍पीड़न का आरोप, मोदी-प्रभु को लिखा पत्र

नयी दिल्ली : एयर इंडिया की एक एयर होस्‍टेस ने एक वरिष्ठ अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इस संबंध में महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु के पास लिखित शिकायत की है. जिस पर संज्ञान लेते हुये नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने विमानन कंपनी से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2018 4:16 PM
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नयी दिल्ली : एयर इंडिया की एक एयर होस्‍टेस ने एक वरिष्ठ अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इस संबंध में महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु के पास लिखित शिकायत की है. जिस पर संज्ञान लेते हुये नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने विमानन कंपनी से इस मुद्दे का समाधान करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है. प्रभु को लिखे गये एक पत्र में विमान परिचारिका ने सरकार से घटना की जांच के लिए एक ‘निष्पक्ष’ जांच समिति गठित करने का अनुरोध किया है.

पत्र के जवाब में नागरिक उड्डयन मंत्री ने ट्वीट किया, ‘एयर इंडिया के सीएमडी से तत्काल मामले का समाधान करने को कहा है. अगर जरूरत हुई तो समिति गठित की जायेगी.’ विमान परिचालिका ने आरोप लगाया है कि वरिष्ठ अधिकारी पिछले छह साल से उसका उत्पीड़न कर रहा है.

महिला ने अधिकारी की तुलना हॉलीवुड के फिल्म निर्माता हर्वे वाइनस्टीन से की. वाइनस्टीन पर कई प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने का आरोप है. 25 मई को लिखे अपने पत्र में महिला ने कहा है कि वरिष्ठ अधिकारी एक दरिंदा है और उसने उसका यौन उत्पीड़न किया, उसे अपशब्द कहे, उसकी उपस्थिति में अन्य महिलाओं के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और कार्यालय परिसर में उसकी उपस्थिति में उसके और अन्य महिलाओं के साथ यौन कृत्यों की बात की…

उसने कहा है, ‘उसने मेरा अपमान किया और जब मैने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया जो मुझे पद और सुविधाएं देने से इंकार किया. उसने कार्यालय में मेरा जीवन दुश्वार कर दिया और लगातार ऐसा करता रहा.’ विमान परिचारिका ने बताया कि पिछले साल सितंबर में उसने एयर इंडिया से इसकी शिकायत की थी और एयरलाइन के सीएमडी को फोन किया था लेकिन इस मामले में कुछ नहीं हुआ.

परिचारिका ने एयरलाइन के महिला प्रकोष्ठ पर इस मुद्दे से अपना हाथ् खींच लेने का आरोप लगाया. उसने पत्र में लिखा ‘शिकायत समिति ने वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी को तलब करने में ही तीन माह लगा दिये और उसे कभी जिरह करने का मौका नहीं दिया. जब हमने खुद ही उनसे पूछताछ के बारे में सोचा तो समिति ने हमें बुलाने की जरूरत नहीं समझी.’

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