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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष केंद्रीय बैंक की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि केंद्र ने क्रिप्टो करेंसी या आभासी मुद्रा के मुद्दे से निपटने को एक समिति बनायी है. इस मामले पर शीर्ष अदालत से अंतिम और तत्काल निर्णय की जरूरत है. पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं.
केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार ने इस बारे में कई याचिकाओं पर अपने जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा है. पीठ ने केंद्र और रिजर्व बैंक को अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय देते हुए इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई की तारीख 11 सितंबर तय की है. कुछ याचिकाओं में आभासी मुद्राओं के इस्तेमाल को चुनौती देते हुए कहा गया है कि ये परंपरागत अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा हैं. याचिकाओं में इन मुद्राओं के नियमन के लिए दिशा-निर्देश बनाने की भी अपील की गयी है.
इसके अलावा, याचिकाओं में सरकार से इन गैर-कानूनी क्रिप्टो करेंसी की खरीद फरोख्त को रोकने का भी आग्रह किया गया है. वहीं, कुछ अन्य याचिकाओं में रिजर्व बैंक की छह अप्रैल की उस अधिसूचना को चुनौती दी गयी है, जो आभासी मुद्राओं में लेनदेन पर रोक लगाती है.
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