”कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से महंगे होंगे टिकाऊ उपभोक्ता सामान”

मुंबई : सरकार के कुछ उत्पादों पर सीमा शुल्क में इजाफे के ऐलान के बाद एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन जैसे टिकाऊ उपभोक्ता सामान महंगे हो सकते हैं. एडलवेस इन्वेस्टमेंट रिसर्च की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा शुल्क वृद्धि तथा कमजोर रुपये की वजह से इन उत्पादों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2018 8:16 PM
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मुंबई : सरकार के कुछ उत्पादों पर सीमा शुल्क में इजाफे के ऐलान के बाद एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन जैसे टिकाऊ उपभोक्ता सामान महंगे हो सकते हैं. एडलवेस इन्वेस्टमेंट रिसर्च की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा शुल्क वृद्धि तथा कमजोर रुपये की वजह से इन उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं. सरकार ने बुधवार को एसी, घरेलू इस्तेमाल वाले रेफ्रिजरेटर और 10 किलोग्राम से कम की वॉशिंग मशीन पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था. एसी और रेफ्रिजरेटर के कम्प्रेसर पर अब 10 फीसदी का सीमा शुल्क लगेगा. अभी तक यह शुल्क 7.5 फीसदी था.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर रुपये तथा ऊंचे शुल्क की वजह से टिकाऊ उपभोक्ता सामान महंगे होंगे. इससे इन उत्पाद की निकट भविष्य की मांग पर नकारात्मक असर पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल घरेलू मांग का 25 से 27 फीसदी आयात के जरिये पूरा किया जाता है. ज्यादातर कंपनियों ने या तो खुद की असेंबलिंग इकाइयां लगाई हुई हैं या फिर वे अनुबंध विनिर्माताओं से असेंबलिंग करवाती हैं.

यहां यह गौर करने वाली बात है कि इस साल जनवरी से डॉलर के मुकाबले रुपया 11 फीसदी गिर चुका है. गुरुवार को रुपया 72.59 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि शुल्क वृद्धि तथा उपभोक्ता ऋण पर ऊंची ब्याज लागत की वजह से निकट भविष्य में टिकाऊ उपभोक्ता सामान की मांग प्रभावित हो सकती है. हालांकि, इससे आयातित तैयार उत्पादों से देश में असेंबलिंग की ओर स्थानांतरित होने की वजह से मध्यम अवधि में बाजार का आकार बढ़ने से ठेके पर असेंबलिंग करने वाली इकाइयों को फायदा हो सकता है.

वित्त वर्ष 2017-18 में देश का एसी बाजार 20,000 करोड़ रुपये का था, जबकि आयात का हिस्सा 30 फीसदी था. भारत मुख्य रूप से चीन और थाइलैंड से एसी का आयात करता है. कुल आयात में इनकी हिस्सेदारी 96 फीसदी की है. वित्त वर्ष 2017-18 में रेफ्रिजरेटर बाजार 19,500 करोड़ रुपये का था. इसमें आयात का हिस्सा करीब 20 फीसदी था. वहीं, वॉशिंग मशीन के 7,000 करोड़ रुपये के बाजार में आयात का हिस्सा 20 फीसदी है.

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