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उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन समस्याओं का विश्लेषण करना होगा और समझना होगा. रिजर्व बैंक और सरकार को नियमित तौर पर बातचीत करनी चाहिए. भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है कि कौन ताकतवर है और कौन अंतिम फैसला करता है. अंतिम प्राधिकार जनता और उनके हित में हैं. जो भी व्यवस्था बनायी गयी है, वह लोगों की भलाई के लिए है.
नायडू ने कहा कि इसीलिए उन्हें मीडिया के माध्यम से बातचीत के बजाय बैठकर बातें करनी चाहिए और वास्तविक समस्याओं के समाधान निकालने चाहिए. केंद्रीय बैंक के साथ बढ़ते तनाव के साथ वित्त मंत्रालय ने पूर्व में आरबीआई कानून की धारा-7 के तहत चर्चा की मांग की थी. यह प्रावधान सरकार को आरबीआई गवर्नर को निर्देश देने का अधिकार देता है. यह पहली बार हुआ जब सरकार ने इस धारा का उपयोग करने की बात कही. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले महीने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता की बात की थी. उन्होंने दलील देते हुए कहा था कि अगर इससे समझौता किया गया, अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा.
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत निवेश के लिए पंसदीदा गंतव्य है और विश्वबैंक तथा विश्व आर्थिक मंच जैसे संगठनों का विचार है कि अगर देश निरंतर सुधार की दिशा में आगे बढ़ता है, यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा. उन्होंने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में तीन फीसदी योगदान देने वाला कपड़ा उद्योग से चौथी औद्योगिकी क्रांति की मांग के अनुरूप नई प्रौद्योगिक अपनाने को कहा. इस मौके पर कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार कपड़ा उद्योग की वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है.
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