न्यूयॉर्क : चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर को लेकर गुरुवार को रेटिंग एजेंसी फिच की ओर से पेश अनुमान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि की दर अगले एक दशक में 7 से 8 फीसदी पर बने रहने की संभावना है.
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जेटली ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता सहिंता (आईबीसी) जैसे सुधारों की सराहना करते हुए कहा कि इस कानून की प्रक्रिया से विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए आकर्षक और अनुकूल अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. जेटली ने यहां स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास में ‘संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान की नयी मिसाल- दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता पर आयोजित सम्मेलन’ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया.
इस सम्मेलन में वित्त मंत्रालय में प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल, भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड के चेयरमैन एमएस साहू और महावाणिज्य दूत संदीप चक्रवर्ती, उद्योग जगत के विश्लेषक, निवेशक एवं नीति विशेषज्ञ उपस्थित थे. कार्यक्रम का आयोजन वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की ने आईबीबीआई और न्यूयार्क स्थिति भारतीय महावाणिज्य दूतावास के सहयोग से किया.
इस मौके पर जेटली ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में यह निर्विवाद रूप से साबित हुआ है कि भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. यह उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में अपने कुछ समकालीन देशों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है. मेरा मानना है कि अगले दशक में भारत की आर्थिक वृद्धि कम से कम 7 से 8 फीसदी रह सकती है. जेटली ने कहा कि सात फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर को भारतीय मानकों के तहत अब निचला स्तर माना जा रहा है. हमारी उम्मीद 7 फीसदी से ऊपर की है.
आईबीसी प्रक्रिया के जरिये भारत में निवेश के अवसरों पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की भविष्य की संभावना काफी बेहतर है. आईबीसी अपना काम कर रहा है. जहां तक निवेशकों का संबंध है, यह एक शानदार अवसर है और इसलिए वे भारत में निवेश के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं. जेटली ने कहा कि मौजूदा अवसर से बेहतर अवसर नहीं हो सकता है. आईबीसी की प्रक्रिया के तहत यह पेशकश उपलब्ध हो रही है. यह सही समय है और इस तरह के निवेश के लिए भारत सही जगह है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि आईबीसी के तहत समाधान के लिए करीब 1200 आवेदन जमा किये गये हैं और करीब 1000 मामले लंबित पड़े हैं. इसका मतलब यह है कि अगले कुछ सालों में इन परिसंपत्तियों के लिए बोली प्रक्रिया शुरू होगी और यह इन संपत्तियों में निवेश का बेहतर अवसर है.
जेटली ने कहा कि इन संपत्तियों के लिए बोली लगाने वाली ज्यादातर कंपनियां घरेलू कंपनियां हैं, लेकिन यह विदेशी निवेशकों के लिये भारत में निवेश का अच्छा अवसर है. उन्हें यहां आना चाहिए और इन संपत्तियों के लिए बोली लगानी चाहिए.
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