नयी दिल्ली : इलेक्ट्रिक वाहनों को सब्सिडी देने के लिए दोपहिया वाहनों पर ‘फीबेट’ (एक तरह का शुल्क या छूट) लगाने के नीति आयोग के प्रस्ताव पर भारी उद्योग मंत्रालय और आयोग के बीच मतभेद उभर आये हैं.
सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने नीति आयोग के दोपहिया वाहन जैसे बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाले परिवहन माध्यम पर ‘शुल्क’ लगाने को लेकर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि इससे न सिर्फ कीमतों में वृद्धि होने की आशंका पैदा होगी, बल्कि इस कर के संग्रह से जुड़ी व्यावहारिक चुनौतियां भी आयेंगी.
भारी उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘नीति आयोग द्वारा शुल्क का प्रस्ताव किया गया है. उनका कहना है कि वे शुल्क के माध्यम से पूंजी एकत्र करेंगे और इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी देने में किया जायेगा. हमने उन्हें समझाया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर 12 प्रतिशत जीएसटी है, जबकि दहन इंजन (पेट्रोल-डीजल) वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत. इस लिहाज से पहले ही 16 प्रतिशत की छूट दी जा रही है.’
भारी उद्योग मंत्रालय देश के वाहन क्षेत्र के विकास के लिए योजनाओं और नीतियों को लागू करने का काम करता है. अधिकारी ने कहा, ‘देश में हर साल करीब दो करोड़ दोपहिया वाहन बेचे जाते हैं. नीति आयोग की गणना के हिसाब में यदि प्रति वाहन 500 रुपये का भी शुल्क लगाया जाता है, तो करीब 10,000 करोड़ रुपये एकत्र हो सकते हैं. हालांकि, दिक्कत यह है कि इसे एकत्र कौन करेगा, क्योंकि अब सभी उपकर जीएसटी के अंदर सम्मिलित हो गये हैं.’
फीबेट एक तरह का शुल्क और छूट प्रणाली है, जिसमें ऊर्जा-दक्ष या पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों को पुरस्कृत किया जाता है, जबकि इस तरह की गतिविधियों का पालन करने में नाकाम रहने पर दंडित किया जाता है.
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