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हालांकि, इसके पहले तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने तेल के उत्पादन में कटौती करने का ऐलान किया था, जिससे दामों में इजाफा होने की आशंका जतायी जा रही थी. वहीं, ईरान पर अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाये जाने के बाद इस साल अक्टूबर महीने से कच्चे तेल की कीमत पिछले चार साल के उच्चतर स्तर पर पहुंच गयी थी.
मीडिया की खबरों के अनुसार, बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत 1.1 फीसदी गिरकर 50 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच गयी, जबकि सोमवार को इसमें 6.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी. रूस के ऊर्जा मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने निवेशकों को यह कहकर भरोसा दिलाने की कोशिश की कि ओपेक और इसके सहयोगी देशों के बीच तेल उत्पादन में कटौती को लेकर बनी सहमति की वजह से 2019 की पहली छमाही में बाजार में स्थिरता आयेगी. उन्होंने कहा कि अगर हालात बदले, तो तेल उत्पादक देश उचित कदम उठायेंगे.
गौरतलब है कि अक्टूबर महीने में चार साल के उच्चतर स्तर पर जाने के बाद कच्चे तेल की कीमतें 40 फीससदी घट चुकी हैं. तेल निर्यातक देशों के संगठन और रूस समेत इसके सहयोगियों ने 6 दिसंबर की बैठक में तेल कटौती पर अपनी सहमति जाहिर की थी. इससे निवेशकों को डर लगने लगा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का अभाव पैदा करने के लिए काफी है. इन्हीं आशंकाओं के बीच अमेरिका रिकॉर्ड स्तर पर तेल उत्पादन करने लगा, जिससे दाम में बढ़ोतरी होने का खतरा टलने जैसा दिखायी दे रहा है.
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