उपराष्ट्रपति ने कहा कि परियोजना की समय पर आपूर्ति जरूरी है. सरकारी और शहरी एजेंसियों द्वारा मंजूरी देना भी उतना ही जरूरी है. उनकी भी जिम्मेदारी है. जब आप परियोजनाओं में देरी के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को जवाबदेह बनाते हैं, तो देरी के लिए आपको स्थानीय सरकारी निकायों को भी जिम्मेदार बनाना चाहिए. कारोबारी सुगमता की जरूरत पर जोर देते हुए नायडू ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि के लिए केंद्रीय एवं राज्य स्तर की एजेंसियों को सुविधा देनी चाहिए.
नायडू ने रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए ऑनलाइन मंजूरी की वकालत की और बिल्डरों से ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि रेरा और जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार के संकेत दिख रहे हैं. हालांकि, उन्होंने जमीन की कीमतें अधिक होने पर चिंता जतायी है. यह परियोजनाओं को अव्यावहारिक बनाती है.
नायडू ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है. इसकी देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.9 फीसदी हिस्सेदारी है. रियल एस्टेट क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला क्षेत्र है.
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