वित्त मंत्रालय ने पूछा है कि क्या इपीएफओ के पास पर्याप्त सरप्लस रकम है, जिससे पिछले वित्त वर्ष के लिए तय ब्याज का भुगतान किया जा सके. खास तौर पर तब जब विभिन्न वित्तीय कंपनियों में किये गये कुछ निवेश में नुकसान पहुंचने की आशंका है. वित्त मंत्रालय ने श्रम सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है. वित्त मंत्रालय ने आइएल एंड एफएस और इसके जैसे जोखिम भरे निवेश के बारे में जानकारी मांगी है. जानकारी के मुताबिक, श्रम मंत्रालय से यह भी पूछा गया है कि क्या उसके पास पर्याप्त सरप्लस रकम है, जिसे अगले वित्त वर्ष के लिए इस्तेमाल किया जा सके. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि घाटे की स्थिति में इपीएफओ ग्राहकों को भुगतान की जिम्मेदारी सरकार पर होगी.
इपीएफओ के आंकड़े दुरुस्त
वहीं, इपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ब्याज दर को लेकर हमारे तमाम कैलकुलेशन और गणना सही है. पिछले 20 वर्षों से ज्यादा समय से ऐसे ही कैलकुलेशन होती रही है. जिस विधि या मैथेड का इस्तेमाल करके ब्याज दर की गणना की जाती है वह नयी नहीं है. वित्त मंत्रालय ने कुछ सवाल पूछे हैं, उनका जवाब दे दिया जायेगा.
पैसे डूबे, तो क्या होगा
आइएल एंड एफएस में निवेश के असर के बारे में पूछे जाने पर इपीएफओ अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय की ओर से इपीएफओ से पूछा गया है कि अगर निवेशकों का पैसा डूबा कैसे मैनेज करेंगे तब मैंने कहा कि उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अभी तक कुछ ऐसा नहीं हुआ है.’ इपीएफओ ने सभी स्थितियों का आकलन कर रही है.’
फंसे हैं आइएल एंड एफएस में 574 करोड़ रुपये
श्रम विभाग की कमेटी की 57वीं रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे आइएल एंड एफएस में फरवरी 2019 तक इपीएफओ का निवेश 574.73 करोड़ रुपये है. वहीं, इपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने फरवरी में सिफारिश की थी कि इपीएफओ के 6 करोड़ सक्रिय ग्राहकों को 2018-19 वित्त वर्ष में 8.65 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज मिलेगा. इसके पिछले वित्त वर्ष में ब्याज दर 8.55 प्रतिशत थी, जो पांच वर्षों में सबसे कम थी.
-151.67 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च होगा 8.65 प्रतिशत की ब्याज दर का अनुमानित खर्च, फरवरी के इपीएफओ के अनुमानों के मुताबिक
-94,000 करोड़ की कर्जदार कंपनी में इपीएफओ का भी निवेश
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