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एनसीएलटी ने गुरुवार को कंपनी के निदेशक मंडल को भंग कर दिया तथा उसके संचालन के लिए नये निपटान पेशेवर की नियुक्ति की. साथ ही, भारतीय स्टेट बैंक (एबसीआई) की अगुवाई वाले 31 बैंकों के गठजोड़ को ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) बनाने की अनुमति दे दी. सुनवाई के दौरान आरकॉम ने मौजूदा निपटान पेशेवर के जरिये 30 मई, 2018 से 30 अप्रैल, 2019 की अवधि यानी 357 दिन की अवधि की दिवाला प्रक्रिया में छूट मांगी.
कंपनी ने कहा कि इस दौरान अपीलीय न्यायाधिकरण और सुप्रीम कोर्ट से उसे प्रक्रिया पर स्थगन मिला हुआ था. वीपी सिंह और आर दुरईसामी की पीठ ने कहा कि इस मामले को कानून और दिशा-निर्देशों के अनुरूप आगे बढ़ाया जाना चाहिए. न्यायाधिकरण ने रिलायंस इन्फ्राटेल और रिलायंस टेलीकॉम तथा आरकॉम को उपरोक्त अवधि की छूट दे दी है.
संकट में फंसी आरकॉम को करीब दो साल पहले अपना परिचालन बंद करना पड़ा था. कंपनी ने रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम बेचकर दिवाला प्रक्रिया से बचने का प्रयास किया, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया तथा सरकार की ओर से मंजूरियों में देरी से इसमें अड़चनें आयीं. इसके अलावा, कंपनी सार्वजनिक रूप से रीयल एस्टेट और स्पेक्ट्रम संपत्तियों के मौद्रिकरण के जरिये बैंकों का पैसा लौटाने के सार्वजनिक तौर पर किये गये वादे को भी पूरा नहीं कर पायी.
पिछले महीने कंपनी के चेयरमैन अनिल अंबानी सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में संभावित रूप से जेल जाने से बचे हैं. उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने अंतिम क्षण में उन्हें 480 करोड़ रुपये की मदद देकर जेल जाने से बचा लिया. सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम को यह राशि एरिक्सन को चुकाने का निर्देश दिया था. एरिक्सन ने पिछले साल आरकॉम को एनसीएलटी में घसीटा था. वह उसकी परिचालन ऋणदाता है.
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