CBDT ने आईटी डिपार्टमेंट को डिफॉल्टर्स की संपत्तियों और खातों का ब्योरा बैंकों से साझा का दिया निर्देश

नयी दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग को कर्ज चुकाने में चूक करने वालों यानी डिफॉल्टरों की संपत्तियों और खातों का ब्योरा जनहित में बैंकों से साझा करने का निर्देश दिया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इस बारे में सीबीडीटी से आग्रह किया था. इस नीतिगत कदम का मकसद ऐसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2019 4:55 PM
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नयी दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग को कर्ज चुकाने में चूक करने वालों यानी डिफॉल्टरों की संपत्तियों और खातों का ब्योरा जनहित में बैंकों से साझा करने का निर्देश दिया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इस बारे में सीबीडीटी से आग्रह किया था. इस नीतिगत कदम का मकसद ऐसी इकाइयों के खिलाफ नकेल कसना और उनसे जनता के पैसे की वसूली करना है.

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सीबीडीटी के नये आदेश के अनुसार, कर विभाग किसी आयकरदाता के आयकर रिटर्न (आईटीआर) से यह ब्योरा निकालेगा. आयकर विभाग के लिए नीतियां बनाने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बुधवार को अपने सभी फील्ड कार्यालयों को इस बारे में निर्देश दिया. सीबीडीटी ने कहा है कि यह आदेश जनहित में जारी किया गया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ओर से इस बारे में कई आग्रह मिले थे. बैंकों से ऐसे डिफॉल्टरों की अचल संपत्तियों का ब्योरा मांगा है, जिससे वह उनसे वसूली कर सके.

बयान में कहा गया है कि सीबीडीटी का मानना है कि कर्ज चूककर्ताओं की संपत्तियों का ब्योरा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को साझा किया जाना चाहिए, ताकि वे उनसे कर्ज की वसूली कर सकें. यह जनहित में होगा. सीबीडीटी के आदेश में कहा गया है कि संपत्तियों के ब्योरे के अलावा बैंक खातों और डिफॉल्टरों के विविध कर्जदारों का ब्योरा भी साझा किया जाना चाहिए. इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कर्ज वसूली में मदद मिल सकती है.

आदेश में कहा गया है कि कर अधिकारियों द्वारा ऐसी सूचनाओं को साझा किये जाने से पहले ऐसे कर्ज चूककर्ताओं के कर बकाया का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. कर्ज चूककर्ता की चल या अचल संपत्ति की बिक्री से प्राप्त अधिशेष राशि के उपयोग से पहले बैंक आयकर अधिकारी से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेंगे. हाल के समय में कई बड़े बैंक धोखाधड़ी के मामले में सामने आये हैं. इनमें नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक के साथ किया गया 13,000 करोड़ रुपये का घोटाला, स्टर्लिंग बायोटेक का मामला और शराब कारोबारी विजय माल्या का मामला शामिल है.

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