इसे भी देखें : वाडिया ने टाटा संस व रतन टाटा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया
टाटा समूह की कंपनियों के निदेशक मंडल से बाहर किये जाने के बाद वाडिया ने यह मामला 2016 में दायर किया था. उसके बाद टाटा तथा अन्य ने हाई कोर्ट में संपर्क कर उन लोगों के खिलाफ शुरू की गयी कार्रवाई को खारिज करने का आग्रह किया था. रतन टाटा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इससे पहले अदालत से कहा था कि कंपनी विवाद के कारण अवमानना मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि पूरा मामला बिना दिमाग लगाये दर्ज किया गया.
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि यह मामला केवल रतन टाटा और नुस्ली वाडिया के बीच एक कॉरपोरेट विवाद का नतीजा है. वाडिया साइरस मिस्त्री के बड़े समर्थक है. वाडिया ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि साइरस मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने के बाद टाटा तथा अन्य ने उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले बयान दिये.
वाडिया टाटा समूह की इंडियन होटल्स कंपनी, टीसीएस, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील समेत समूह की अन्य कंपनियों में स्वतंत्र निदेशक थे. उन्हें दिसंबर 2016 और फरवरी 2017 के बीच विशेष रूप से बुलायी गयी आम बैठक में स्वतंत्र निदेशक पद से हटाने के पक्ष में शेयरधारकों ने मतदान किये. वाडिया ने अपने पत्र पर प्रतिवादियों (टाटा तथा अन्य) के जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद मजिस्ट्रेट अदालत में मानहानि का मुकदमा किया था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.