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आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पॉलिएना डी लीमा ने कहा कि अगस्त महीने में भारतीय विनिर्माण उद्योग में सुस्त आर्थिक वृद्धि और अधिक लागत मुद्रास्फीति का दबाव देखा गया. काम के नये ऑर्डरों, उत्पादन और रोजगार को मापने वाले सूचकांकों समेत अधिकांश पीएमआई सूचकांकों में कमजोरी का रुख रहा. ग्लोबल मोर्चे पर बिगड़ती स्थितियों के बीच निजी निवेश और उपभोक्ता मांग में सुस्ती से भारत की आर्थिक वृद्धि दर जून तिमाही में कम हो कर पांच फीसदी पर आ गयी है. यह छह साल की सबसे कम वृद्धि दर है.
लीमा ने कहा कि अगस्त में बिक्री में 15 महीनों में सबसे धीमी गति से विस्तार हुआ है, जिसका उत्पादन वृद्धि और रोजगार सृजन पर भी दबाव पड़ा है. इसके अलावा, कारखानों ने मई, 2018 के बाद पहली बार खरीदारी में कमी की है. उन्होंने कहा कि महीने में पहली बार खरीदारी गतिविधियों में गिरावट एक चिंताजनक संकेत है. स्टॉक में जानबूझकर कटौती और पूंजी की कमी के कारण ऐसा हुआ है.
सर्वेक्षण में कहा गया कि प्रतिस्पर्धी दबाव और बाजार में चुनौतीपूर्ण स्थितियों ने तेजी को रोकने की कोशिश की. अगस्त में विदेशों से आने वाले नए कारोबारी ऑर्डर की गति भी धीमी रही. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को होने वाली बिक्री में सुस्ती ने उत्पादन वृद्धि को प्रभावित किया. सर्वेक्षण में शामिल कुछ सदस्यों ने नकदी प्रवाह से जुड़ी दिक्कत और धन उपलब्धता में कमी की सूचना दी है.
रोजगार के मोर्चे पर सर्वेक्षण में कहा गया कि कमजोर बिक्री ने विनिर्माण कंपनियों को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की जगह दूसरे कर्मचारी रखने से रोका है. कीमत के मोर्चे पर इनपुट लागत बढ़कर नौ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गयी है. लागत मूल्य में वृद्धि ने भी खरीद गतिविधियों में बाधा खड़ी की है.
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