गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता पर संदेह की नहीं है कोई वजह

मुंबई : अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि दर कमजोर रहने तथा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के चलते खजाने पर करीब-करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त भार पड़ने की संभावनाओं के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल होने पर संदेह नहीं है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2019 6:16 PM
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मुंबई : अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि दर कमजोर रहने तथा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के चलते खजाने पर करीब-करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त भार पड़ने की संभावनाओं के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल होने पर संदेह नहीं है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह बात कही. वित्त वर्ष अप्रैल-मार्च 2019-20 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 फीसदी पर रहने का अनुमान है, लेकिन हाल में कॉरपोरेट टैक्स में ऐतिहासिक कटौती और गिरते जीएसटी संग्रह के चलते इस लक्ष्य के पाने को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं.

अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि घाटे का आंकड़ा 0.7 से 0.8 फीसदी अंक तक ऊपर जा सकता है. शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश की गयी. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 0.25 फीसदी घटाकर 5.15 फीसदी कर दिया है. इसी के अनुरूप रिवर्स रेपो रेट भी घटकर 4.90 फीसदी हो गयी है. इस मौके पर संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल के जवाब में दास ने कहा कि सरकार ने घोषणा की है कि वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है. हमें सरकार की बजट में दिये गये आंकड़ों के प्रति प्रतिबद्धता पर संदेह करने का कोई कारण नजर नहीं आता.

उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर बनाये रखने के लिए सरकार के पास विभिन्न राजस्व स्रोत हैं. ऐसे में कारपोरेट कर में कटौती से जो नुकसान होगा, सरकार के पास अन्य स्रोत पर कर बढ़ाकर इसे पूरा करने का विकल्प है. पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में 10 से 12 फीसदी तक की कटौती करने की घोषणा की थी. इसके बाद कॉरपोरेट टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फीसदी पर आ गयी है. इससे चालू वित्त वर्ष में राजकोष पर करीब-करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ने की संभावना है.

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