उसने कहा, ‘‘यह नरमी कई कारकों के कारण है. यह आंशिक तौर पर चक्रीय है और इसका कारण संरचनात्मक भी है. इससे लगता है कि 2020 में भी सुधार की गति धीमी रह सकती है.’ डीबीएस ने कहा कि अनुकूल मूलभूत प्रभाव और आसान मौद्रिक स्थितियां मांग को समर्थन दे सकती हैं. उसने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच सकती है. उसने कहा कि फरवरी में पेश होने वाले आम बजट में मांग को बढ़ावा देने वाले उपायों की घोषणा की जा सकती है.
इससे अल्पावधि में आर्थिक वृद्धि को सहारा मिल सकता है. इसके अलावा सरकारी खर्च को पुन: प्रारंभ करने तथा भंडार में पुन: वृद्धि से उत्पादन को मदद मिल सकती है. डीबीएस ने कहा, ‘‘हमें मौद्रिक, वित्तीय तथा वृहद नीतियों के द्वारा तीन स्तरीय समर्थन की उम्मीद बनी हुई है.’ उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने भी नरम मांग तथा सुस्त बाह्य मांग का हवाला देते हुए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर पिछले सप्ताह पांच प्रतिशत कर दिया है.
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है. विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी 2019-20 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान इसी सप्ताह 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत किया है.
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