इसमें कहा गया है कि जरूरी नियामकीय और अन्य मंजूरियां मिलने पर यह संयुक्त उद्यम 2020 की पहली छमाही में बन जायेगा. रिलायंस के इस समय 1,400 के करीब पेट्रोल पंप हैं. इसके अलावा, कुछ हवाईअड्डों पर 30 के करीब विमान ईंधन स्टेशन भी हैं. इनका आरआईएल-बीपी के नये संयुक्त उद्यम द्वारा अधिग्रहण कर लिया जायेगा और भविष्य में इस शृंखला का विस्तार किया जायेगा. इस नये संयुक्त उद्यम में आरआईएल के पास 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि बीपी के पास 49 फीसदी हिस्सेदारी होगी.
आरआईएल ने अगस्त में कहा था कि बीपी उसके मौजूदा पेट्रोल पंप कारोबार में 49 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. रिलायंस और बीपी के बीच 2011 के बाद से यह तीसरी संयुक्त उद्यम समझौता है. इससे पहले 2011 में बीपी ने रिलायंस के 21 तेल एवं गैस खोज एवं उत्पादन ब्लॉक में 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी.
यह हिस्सेदारी 7.2 अरब डॉलर में खरीदी गयी. उस समय एक अन्य 50:50 फीसदी हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया गया. इंडिया गैस साल्यूशंस नाम का यह संयुक्त उद्यम भारत में गैस की प्राप्ति और विपणन के लिए बनाया गया.
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