नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के उतार-चढ़ाव पर नजर रखने के लिए अब राजनीति की तरह किताबों के जरिये सुझाव दिये जा रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल के बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के जोखिमों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय तेल वायदा बाजार पर नजर रखने को एक अलग […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2014 6:55 AM
नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के उतार-चढ़ाव पर नजर रखने के लिए अब राजनीति की तरह किताबों के जरिये सुझाव दिये जा रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल के बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के जोखिमों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय तेल वायदा बाजार पर नजर रखने को एक अलग प्रकोष्ठ बनाया जाना चाहिए.
कच्चे तेल के भाव और अंतरराष्ट्रीय तेल वायदा बाजार के रुझानों पर पेट्रोल : आसान है कीमत गिराना शीर्षक से मिथिलेश झा ने एक पुस्तक लिखी है. बातचीत में उन्होंने कहा कि हमें देश में कच्चे तेल के भारी आयात बिल को देखते हुए विश्व बाजार का पूर्वानुमान लगाने पर ध्यान देना चाहिए. इसके अध्ययन के लिए संस्थान बनायें, अलग विभाग बनायें, कुछ भी करें, एक रक्षा कवच बनाया जाना चाहिए.
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