नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार की योजना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत पर लाने की है जिससे तीन लाख करोड रुपये की पूंजी की जरुरत को पूरा किया जा सके.
उन्होंने कहा, हम बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत पर लाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे बडी लगभग तीन लाख करोड रुपये की पूंजी बैंकों में डाली जा सके. इससे बैंकों के पास वित्तीय समावेशी के लिए कहीं अधिक संसाधन होंगे. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 58 फीसद पर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
कानून के अनुसार किसी भी मौके पर सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसद से नीचे नहीं जानी चाहिए, जिससे इन बैंकों का सार्वजनिक चरित्र कायम रखा जा सके. फिलहाल विभिन्न बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 56.26 (बैंक आफ बडौदा) से 88.63 प्रतिशत (सेंट्रल बैंक आफ इंडिया) के बीच है.
बासेल तीन नियमों को 2018 तक पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2.4 लाख करोड रुपये की इक्विटी पूंजी की जरुरत है. चालू वित्त वर्ष में सरकार ने बैंकों के पूंजीकरण के लिए 11,200 करोड रुपये की राशि आवंटित की है. 2011-14 के दौरान सरकार ने इन बैंकों में 58,600 करोड रुपये की पूंजी डाली है.
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