शुरू हो चुका है अर्थव्यवस्था का पुनरुत्थान : अरूण जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि कच्चे तेल के गिरते दाम की मदद से सरकार चालू खाते के घाटे को संतोषजनक स्तर के दायरे में लाने में कामयाब रही है और इसके साथ ही अर्थव्यवस्था का पुनरुत्थान शुरू हो चुका है. जेटली ने कहा कि सरकार राजकोषीय अनुशासन, ढांचागत क्षेत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 3:34 AM
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नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि कच्चे तेल के गिरते दाम की मदद से सरकार चालू खाते के घाटे को संतोषजनक स्तर के दायरे में लाने में कामयाब रही है और इसके साथ ही अर्थव्यवस्था का पुनरुत्थान शुरू हो चुका है. जेटली ने कहा कि सरकार राजकोषीय अनुशासन, ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढाने और विनिर्माण क्षेत्र के पुनरुद्धार के लिये प्रतिबद्ध है.

वित्त मंत्री ने आज यहां अर्थशास्त्रियों के साथ बजट पूर्व बैठक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट और सरकार के स्थिति पर सीधे गौर करने से चालू खाते का घाटा भी संतोषजनक स्तर के दायरे में है. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में जेटली के हवाले से कहा गया है, ‘वैश्विक आर्थिक स्थिति कठिन चुनौती के दौर से गुजर रही है, ऐसे में मौजूदा सरकार निवेशकों का विश्वास जीतने के लिये प्रतिबद्ध है.’

वक्तव्य के अनुसार जेटली ने कहा कि सरकार ने पिछले सात-आठ महीनों में कई पहलें की हैं. इसके चलते आर्थिक वृद्धि में सुधार आया है, मुद्रास्फीति और बाह्य स्थिति भी नियंत्रण में है और कुल मिलाकर वृहद आर्थिक स्थायित्व में सुधार आया है. वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक वृद्धि में गिरावट का दौर अब थम चुका है और पुनरुत्थान शुरू हो गया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल की गई है जो कि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 4.9 प्रतिशत और पूरे साल के दौरान 4.7 प्रतिशत रही. बजट पूर्व की इस बैठक में आईआईएम अहमदाबाद के एरॉल डी’सोजा, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स की रोहिणी सोमानाथन, आईएसआई दिल्ली के चेतन घाटे और इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनोमिक ग्रोथ के सव्यसाची कार उपस्थित थे.

बैठक में बातचीत के दौरान अर्थशास्त्रियों ने आमतौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और निकट भविष्य में उसके पूर्ण क्षमता को हासिल करने को लेकर उम्मीद जाहिर की. इस दौरान अर्थशास्त्रियों ने मुख्य तौर पर आर्थिक वृद्धि को बढाने, मुद्रास्फीति पर काबू रखने, सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने, राजकोषीय घाटे पर अंकुश रखने और सबसे ज्यादा निवेशकों का विश्वास बहाल करने पर जोर दिया.

अर्थशास्त्रियों ने कृषि क्षेत्र में व्यापक निवेश लाने के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं और वृहद ढांचागत परियोजनाओं में निवेश बढाने पर जोर दिया. वक्तव्य के अनुसार केंद्र और राज्यों के स्तर पर व्यवसाय करने में आसानी के लिये एकल खिडकी व्यवस्था किये जाने का भी सुझाव दिया गया.

अन्य सुझावों में बैंकों को और पूंजी उपलब्ध कराने, लक्ष्य हासिल करने के लिये विनिवेश को आगे बढाने और दीर्घकालिक वित्तीय नीति और नयी वित्तीय रुपरेखा के लिये एक संस्थान स्थापित करने पर भी जोर दिया गया. कर सुधारों के मामले में भी कुछ सुझाव प्राप्त हुए. कर आधार को व्यापक बनाने, स्वैच्छिक कर अनुपालन संस्कृति विकसित करने, आयकर सीमा नहीं बढाने, कृषि आय पर कर लगाने और समयबद्ध तरीके से और कर न्यायाधिकरण स्थापित करने के बारे में सुझाव दिये गये.

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