नयी दिल्ली : रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि पर्याप्त निवेश के अभाव में रेलवे को सेवाओं से समझौता करना पडता है और सरकार के इस विशालकाय उपक्रम की अवसंरचना में सुधार के लिए भारी निवेश जरुरी है. उन्होंने कहा कि रेलवे अवसंरचना में समुचित निवेश से भारतीय रेलवे आगामी वर्षों में विकास के इंजन में तब्दील हो सकती है.
प्रभु ने माना कि रेलवे में धन का ‘गहरा संकट’ है जबकि संपर्क नेटवर्क को व्यापक करने के लिए इसे भारी निवेश की जरुरत है. उन्होंने कहा कि और अधिक डिब्बों तथा लोगों को लाने ले जाने के लिए 30 से 40,000 किमी लाइनों के विस्तार की जरुरत है. ‘इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट’ में प्रभु ने कहा कि रेलवे की अवसंरचना में अगर सुधार हो जाए तो वह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.5 फीसदी से तीन फीसदी का योगदान दे सकती है.
बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सेक्टरों में निवेश के लिए भारत के पास आवश्यक संस्थाएं नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पेंशन फंड ऐसी संभावना है जो निवेश में मदद कर सकती है. नक्सल प्रभावित इलाकों का उदाहरण देते हुए प्रभु ने कहा कि सुरक्षा कर्मियों को ले जाने के साथ साथ बेहतर रेलवे अवसंरचना ऐसे स्थानों में ज्यादा निवेश ला सकती है और रोजगार सृजन कर सकती है. उत्तरोत्तर सरकारों का विचार रहा है कि रोजगारों के जरिये युवाओं को नक्सलवाद और उग्रवाद से अलग रखा जा सकता है.
अर्थव्यवस्था को दो खरब डॉलर से बढा कर 20 खरब डॉलर करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य के संदर्भ में प्रभु ने कहा कि महत्वाकांक्षी और कार्यान्वित होने योग्य नीतियों से इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है. प्रभु ने सरकारी लेखों में सुधार की जरुरत पर जोर दिया ताकि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए व्यय पर नजर रखी जा सके कि जिस उद्देश्य के लिए रकम खर्च की जानी है, वह उसी उद्देश्य के लिए ही खर्च हो.
उन्होंने कहा ‘इससे लाभ होगा.’ प्रभु ने कहा कि जीएसटी से कर आधार व्यापक बनेगा और जीडीपी के अनुपात में कर वृद्धि करने में मदद मिलेगी. बुनियादी सुविधाओं के अभाव को ‘अवरोधक’ बताते हुए प्रभु ने कहा कि अपेक्षित विकास स्तरों को पाने के लिए बहुत कुछ व्यवस्थित करना होगा. उन्होंने कहा कि लक्ष्य तय करने के बाद एक रणनीति की जरुरत होती है ताकि लक्ष्य हासिल किए जा सकें और मोदी सरकार इस पर काम कर रही है.
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