नरेंद्र मोदी से मिले शरद पवार, 10 फीसदी चीनी खरीद का दिया सुझाव

नयी दिल्ली : गन्ना किसानों का बकाया 21,000 करोड रुपये के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में पूर्व कृषि मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार आज एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए. उन्‍होंने संकटग्रस्त चीनी मिलों को उबारने के लिए केंद्र से चीनी का बफर स्टॉक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2015 11:16 AM
feature

नयी दिल्ली : गन्ना किसानों का बकाया 21,000 करोड रुपये के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में पूर्व कृषि मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार आज एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए. उन्‍होंने संकटग्रस्त चीनी मिलों को उबारने के लिए केंद्र से चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मांग की.

पवार की अगुवाई में सहकारी चीनी उद्योग व भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने मोदी से मुलाकात कर चीनी उद्योग को प्रभावित कर रहे मुद्दों को उनके समक्ष रखा. प्रतिनिधिमंडल में सांसद भी शामिल थे. प्रधानमंत्री को सौंपे ज्ञापन में पवार ने कहा, ‘यह काफी चिंता की बात है कि 2014-15 के चीनी सत्र के लिए ही गन्ना किसानों का बकाया 21,000 करोड रुपये से अधिक हो गया है. यह चीनी उद्योग के इतिहास का बकाये का सबसे बडा आंकडा है.’

उन्‍होंने कहा कि मिलों द्वारा चीनी लागत मूल्य से 6 से 8 रुपये प्रति किलो कम दाम पर बेची जा रही है. मौजूदा मूल्य पिछले छह साल में सबसे कम हैं. पूर्व कृषि मंत्री ने कहा, ‘मेरी समझ यह है कि सरकार को 10 प्रतिशत चीनी उत्पादन की खरीद करनी चाहिए. लघु अवधि में यह मौजूदा संकट से निकलने का सर्वश्रेष्ठ व एकमात्र उपाय है.

बैठक के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘प्रधानमंत्री इस बात को समझ गये कि स्थिति काफी गंभीर है. वह इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं.’ पवार ने कहा कि यदि केंद्र 10 प्रतिशत चीनी उत्पादन खरीदने पर सहमत होता है तो इससे करीब 8,500 करोड रुपये की नकदी का प्रवाह होगा जिसका इस्तेमाल किसानों का बकाया चुकाने के लिए किया जाएगा. पवार ने सुझाव दिया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ), एमएमटीसी व एसटीसी जैसी एजेंसियों को सरकार ब्याज मुक्त ऋण दे.

इस ऋण पर ब्याज का बोझ चीनी विकास कोष से पूरा किया जाए. हाल में सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क 25 से बढाकर 40 प्रतिशत कर दिया है. इसके अलावा अक्तूबर, 2015 से शुरू होने वाले अगले विपणन वर्ष से एथनॉल पर उत्पाद शुल्क भी हटा दिया गया है. पवार ने कहा कि अतिरिक्त चीनी के मौजूदा संकट व निचले स्तर पर आई चीनी कीमतों के संकट को सुलझाने के लिए कुछ नहीं किया गया है.

प्रतिनिधिमंडल ने दो साल के लिए मिल स्तर पर 50 लाख टन चीनी का बफर स्टाक बनाने की मांग की. इसके अलावा उसने ऋण के पुनर्गठन की मांग भी मोदी के समक्ष रखी. इस बैठक में भाजपा सांसद प्रभाकर कोर, सुप्रिया सुले (राकांपा), सांसद व महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरीज लिमिटेड के अध्यक्ष विजय सिंह मोहिते पाटिल, नेशनल फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज के अध्यक्ष कलप्पा अवाडे तथा इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा भी शामिल हुए.

देश का चीनी उत्पादन 2014-15 के विपणन वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) में 2.8 करोड टन रहने का अनुमान है. इससे पिछले साल यह 2.43 करोड टन रहा था. कुल वार्षिक मांग 2.45 करोड टन व निर्यात 7 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Business

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version