सरकारें खर्च को दायरे में लायें, नहीं तो हो सकते हैं यूनान जैसे हालात : अरुण जेटली

नयी दिल्ली : राजकोषीय समेकन की जरुरत पर जोर देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकारों के कुशल व्यय प्रबंधन में नाकाम रहने पर यूनान जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. पहले ‘भारतीय लागत लेखा सेवा दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि यूनान में हाल ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2015 10:05 AM
an image

नयी दिल्ली : राजकोषीय समेकन की जरुरत पर जोर देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकारों के कुशल व्यय प्रबंधन में नाकाम रहने पर यूनान जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. पहले ‘भारतीय लागत लेखा सेवा दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि यूनान में हाल ही में जो कुछ हुआ वह दरअसल इस बात का सीधा परिणाम था कि सरकारों ने अपने साधनों के दायरे में न रहने का फैसला किया था.

जेटली ने कहा, ‘राजकोष, सरकार का धन आखिरकार जनता का धन है और यह धन पावन है. पावन इस वजह से है कि सरकारों को अपने साधनों के दायरे में रहने का अनुशासन सीखना होगा.’ वित्त मंत्री ने कहा कि एक-दूसरे से जुडी इस दुनिया में यदि सरकारें अपने साधनों के दायरे में नहीं रह सकीं तो इसके बहुत सारे प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि राजकोषीय अनुशासन पर कायम रहने और राजकोषीय समेकन का पालन करने का एक ही रास्ता है कि ‘या तो आप ज्यादा कमाएं या कम खर्च करें.’

नजर आ रहा है अर्थव्यवस्था में सुधार : सर्वे

एक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार के नीतिगत कदमों तथा व्यापारिक व उपभोक्ता भरोसे के मजबूत होने से अर्थव्यवस्था में सुधार नजर आने लगा है. हालांकि, इस सुधार की गति भले ही सामान्य बनी हुई है. उद्योग मंडल सीआइआइ तथा एसोसिएशंस काउंसिल (एसकॉन) के अप्रैल जून तिमाही के सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है. यह सर्वेक्षण औद्योगिक व सेवा क्षेत्रों की वृद्धि पर निर्भर है जिसमें क्षेत्रवार उद्योग मंडल की प्रतिक्रिया ली गयी है.

इसके अनुसार पिछले साल की तुलना में उत्पादन में थोडा सुधार हो रहा है. सीआइआइ एसकॉन के चेयरमैन नौशाद फोर्ब्स ने कहा कि औद्योगिक वृद्धि में धीमी लेकिन सतत प्रगति का यह हालिया रुख गौर करने लायक है. सर्वे में शामिल होने वालों ने निकटवर्ती वृद्धि परिदृश्य में और सुधार की उम्मीद जतायी है. यह उम्मीद लगातार नीतिगत कदमों तथा व्यापारिक व उपभोक्ता भरोसा मजबूत होने के मद्देनजर जतायी गयी है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Business

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version