नयी दिल्ली: विकसित देशों में जारी आर्थिक संकट के मद्देनजर एक किताब में अनुमान लगाया गया है कि 1992-2007 की ऊंची वृद्धि दर शीघ्र ही फिर मिलने की संभावना नहीं है. इसमें कहा गया है कि मौजूदा हालात में ज्यादा से ज्यादा यह हो सकता है कि धीमे ही सही लेकिन वृद्धि में सुधार हो.
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