द इकॉनोमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस सम्मिट में जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने तीन आपत्ती उठायी हैं जो उसकी मूल भावना के विपरीत है जिसे वह खुद लेकर आये. मंत्री ने कहा कि कांग्रेस को छोडकर हर पार्टी जीएसटी विधेयक का सक्रिय समर्थन कर रही है. जेटली ने कहा, ‘संप्रग के राजद, राकांपा और जदयू जैसे सहयोगी दल इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं.’
मंत्री ने कहा, ‘मुझे कोई वजह नहीं दिखती कि कांग्रेस को इस विधेयक के बारे में सोचना चाहिए. यदि विधेयक के किसी विचार पर कोई चर्चा करनी है तो निश्चित तौर पर मैं उनके साथ चर्चा के लिए तैयार हूं, हम दोषपूर्ण कानून बनाकर भावी पीढी पर इसे नहीं थोप सकते.’ जीएसटी में उत्पाद शुल्क, सेवा शुल्क और बिक्री जैसे सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जाएंगे और इसमें कर की समान दर का प्रावधान है. यह विधेयक राज्य सभा में अटका पडा है क्योंकि कांग्रेस इसमें तीन बदलाव के लिए जोर डाल रही है.
यह पूछने पर कि क्या उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा हाल में आयोजित स्वागत समारोह में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से जीएसटी के मुद्दे पर बात की थी, जेटली का जवाब नहीं में था.मंत्री ने कहा, ‘यह अनौपचारिक अवसर होते हैं और जरुरी नहीं है कि ऐसे मंचों पर आप चर्चा करें. निश्चित तौर पर मैंने कोई राजनीतिक चर्चा नहीं की.’ उन्होंने कहा कि इससे पहले कई मौकों पर कांग्रेस नेताओं के साथ जीएसटी पर बातचीत की.
जेटली ने स्पष्ट किया है कि यह आर्थिक विधेयक भाजपा बनाम अन्य नहीं है. बहुत अच्छा होगा यदि जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक आम सहमति से पारित हो जाए. मंत्री ने कहा, ‘बहुत अच्छा होगा यदि कानून आम सहमति से पारित हों. भारत के कराधान ढांचे को प्रभावित करने वाले इस जैसे कानून को सर्व सम्मति से पारित कराने को हम तरजीह देते हैं, अन्यथा इस पर मतदान किया जा सकता है.’
जेटली ने कहा कि कांग्रेस को छोडकर अन्य विपक्षी दलों के सहयोग से कोयला, खनन और ऐसे कई महत्वपूर्ण कानून पारित हो चुके हैं. कांग्रेस की वजह से एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने की सरकार की योजना आगे नहीं बढ पा रही है. जीएसटी से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में अटका पड़ा है. कांग्रेस ने जो तीन मांगें रखी हैं उनमें जीएसटी दर की अधिकतम सीमा का संविधान में उल्लेख होना चाहिये, वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही पर प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर खत्म करना और राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए न्यायिक समिति का गठन करना शामिल है.
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