प्रक्रियाओं में बदलाव के लिए सुधार जारी रखने का प्रधानमंत्री मोदी का वादा

नयी दिल्ली : भारत को वृहद आर्थिक स्थिरता का स्वर्ग करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रक्रियाओं में बदलाव के लिए सुधार जारी रखने और ऐसी नीतियों को आगे बढाने का वादा किया जो वृद्धि और समावेशिता को बढावा देने वाली हो. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति की रफ्तार अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2016 11:13 AM
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नयी दिल्ली : भारत को वृहद आर्थिक स्थिरता का स्वर्ग करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रक्रियाओं में बदलाव के लिए सुधार जारी रखने और ऐसी नीतियों को आगे बढाने का वादा किया जो वृद्धि और समावेशिता को बढावा देने वाली हो. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति की रफ्तार अब एशिया की बडी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है और यह अपने आप में विशिष्ट है. आईएमएफ और भारत द्वारा आयोजित ‘आगे बढता एशिया’ विषय पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘हमने अपने सहयोगियों की कीमत पर व्यापार में कभी फायदा उठाने का प्रयास नहीं किया. ऐसी वृहद आर्थिक नीतियों को कभी नहीं अपनाया जिसमें पडोसी हाथ फैलाये रहें. हमने अपनी मौद्रिक दर का कभी अवमूल्यन नहीं किया.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए स्वर्ग और वैश्विक समस्याओं के बीच उम्मीद, विविधिता और अवसर की किरण है और भारत ने इस मिथक को तोड दिया है कि लोकतंत्र और तीव्र आर्थिक वृद्धि साथ साथ नहीं चल सकते. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि उसके जैसे बडे और विविधतापूण देश का प्रबंधन भी इस तरह किया जा सकता है कि उसकी आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके और उसके साथ ही सामाजिक स्थिरता को भी बनाये रखा जा सके.’

वृहद आर्थिक स्थिरता से जुडी उपलब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी आई है, राजकोषीय स्थिति सुदृढ हुई है, भुगतान संतुलन बेहतर स्थिति में है और विदेशी मुद्रा भंडार भी अच्छी स्थिति में है. मोदी ने कहा कि कठिन वैश्विक परिस्थितियों और लगातार दूसरे वर्ष कम बारिश होने के बावजूद भारत की वृद्धि दर बढकर 7.6 प्रतिशत हो गई है जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है. उन्होंने कहा, ‘हम सभी को ऐसी आर्थिक नीतियों को आगे बढाने की जरुरत है जो वृहद आर्थिक स्थिरता, वृद्धि दर में वृद्धि और अधिक समावेशिता प्रदान करती हों.’

आर्थिक प्रशासन के बेहतर होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बैंकों और नियामकों के निर्णयों में भ्रष्टाचार और हस्तक्षेप अब अतीत की बात हो गयी है. मोदी ने कहा, ‘हम इन उपलब्धियों को पा लेने तक ही नहीं रुकेंगे क्योंकि हमारा एजेंडा बदलाव के लिए सुधार को आगे बढाना है जिसे पूरा करना जरुरी है.’ उन्होंने कहा कि 2016-17 का बजट भविष्य की योजनाओं और आकांक्षाओं का खाका है. उन्होंने कहा, ‘हमारी सोच पूरी तरह से स्पष्ट है और यह धन अर्जित करने के लिए माहौल बनाना है और इस धन को सभी भारतीयों तक विशेष तौर पर गरीबों, हाशिये के लोगों, किसानों और वंचित वर्ग तक पहुंचाना है.’ मोदी ने कहा, ‘मेरा सपना एक बदले हुए भारत का है.’

उन्होंने कहा कि ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में निवेश को बढाया गया है और कृषि बाजार व्यवस्था में सुधार किया गया है. इसके साथ ही सडक और रेलवे में सार्वजनिक निवेश बढाया गया है. उन्होंने कहा, ‘इससे अर्थव्यवस्था की उत्पादकता और हमारे लोगों के बीच सम्पर्क बेहतर बनाया जा सकेगा. ऐसे समय में जब निजी क्षेत्र से निवेश कमजोर है, ऐसे में सार्वजनिक निवेश जरुरी है.’

उन्होंने कहा कि एशिया में मंदी आई है फिर भी यह उन्नत देशों की तुलना में तीन गुना अधिक की रफ्तार से बढ रहा है. ‘और इसलिए यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद की किरण बना हुआ है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कई एशियाई देशों ने पूंजी बाजार की बजाए विकासात्मक वित्तीय संस्थाओं और बैंकों पर अधिक भरोसा किया है. यह वित्तीय क्षेत्र के लिए वैकल्पिक मॉडल प्रदान करता है.

उन्होंने कहा, ‘वैश्विक समस्याओं के बीच मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए भारत स्वर्ग है और उम्मीदों, अवसरों की किरण है.’ मोदी ने कहा कि आर्थिक समावेशिता का कार्यक्रम बेहद सफल रहा है और इससे कुछ ही महीने के समय में बैंकिंग क्षेत्र के दायरे से बाहर करोडों लोगों को इससे जोडा गया है. खाना पकाने की गैस के संबंध में प्रत्यक्ष नकद अंतरण भी दुनिया के सफलतम कार्यक्रमों में शुमार है. हम इससे खाद्य, किरासन, उर्वरक आदि क्षेत्रों को भी जोडना चाहते हैं. अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोल दिया गया है. राजमार्गो का निर्माण तेजी से आगे बढ रहा है, उद्यमिता का तेजी से विकास हो रहा है और र्स्टाटअप सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में कार्बन उत्सर्जन में 2030 तक कटौती करना चाहते हैं.

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