इस बीच विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्र का आकलन करने वाले निक्केई इंडिया कंपोजिट पीएमआई उत्पादन सूचकांक मई में छह महीने के न्यूनतम स्तर 50.9 पर रहा जबकि अप्रैल में यह 52.8 पर था. इस सर्वेक्षण का संचालन करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डीलीमा ने कहा, ‘पीएमआई के ताजा आंकडों से आर्थिक और मौद्रिक नीतियों के असर को लेकर संदेह पैदा होता है.’
सर्वेक्षण में कहा गया कि मई में विनिर्माण उत्पादन में वृद्धि धीमी पडी है और इसके साथ सेवा क्षेत्र में भी नरमी रही है जिससे निजी क्षेत्र के उत्पादन में चाल कुछ सुस्त पडी है. इस बीच सेवा प्रदाताओं का विश्वास भी पिछले तीन माह में सबसे कम हुआ है. हालांकि, सेवा क्षेत्र की कंपनियों को उम्मीद है कि उत्पादन आने वाले 12 माह में बढेगा लेकिन इस बारे में उम्मीद का पैमाना भी फरवरी के बाद से सबसे कम है.
लीमा ने कहा है, ‘वृद्धि की इस धुंधली तस्वीर से नीतिनिर्माताओं की चिंता बढेगी और रिजर्व बैंक द्वारा दरों में कटौती की संभावना बढेगी.’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मुद्रास्फीति का दबाव भी कम रहेगा क्योंकि मई के आंकडे लागत और शुल्कों में कमजोर वृद्धि की तरफ इशारा करते हैं.
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