राजद प्रवक्ता मनोज झा ने भी इसी तरह के विचार रखते हुए कहा कि लोग आरबीआई गवर्नर द्वारा किये गये उपायों के साथ ‘बहुत सुरक्षित’ महसूस कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘लेकिन पिछले कुछ दिनों में, कुछ खास मंशा के साथ जिस तरह बातें की गईं, वह उनके काम करने के तरीके में कभी नहीं था. मुझे लगता है कि अगर कोई नैतिकता वाला व्यक्ति है, कोई अपने मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है जो आप उससे और क्या उम्मीद करते हैं.’ उन्होंने कहा कि राजन ने सही फैसला किया क्योंकि ‘दूसरा कार्यकाल लेने पर उन्हें स्वामी जैसे लोगों के साथ काम करना पडता.’ पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कहा था कि वह राजन द्वारा दूसरा कार्यकाल नहीं लेने के उनके फैसले से ‘निराशा और बहुत दुखी’ हैं. राजन को वर्ष 2013 में संप्रग सरकार द्वारा आरबीआई गवर्नर उस समय नियुक्त किया गया था जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे.
संस्थान व्यक्ति से बड़ा है लेकिन नेतृत्व व्यक्ति करता है : एसोचैम
एसोचैम ने कहा कि मौजूदा घटनाक्रम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है. संगठन ने कहा कि ‘राजन ऐसे समय पद छोड रहे हैं जबकि संकटग्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था भारत के लिए कई प्रकार के जोखिम पैदा कर रही है. इसके अलावा बैंक की बढते डूबे कर्ज को लेकर परेशान हैं.’ एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि संस्थान बडे होते हैं, लेकिन व्यक्तिगत लोग नेतृत्व प्रदान करते हैं जिससे चीजें चलती हैं. राजन ने केंद्रीय बैंक के समूचे रख को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में नया आयाम दिया. इन्फोसिस के मानद चेयरमैन एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि यह खेद की बात है कि देश ऐसे समय एक बेहद सक्षम अर्थशास्त्री की सेवाओं से वंचित हो रहा है जबकि भारत 10 प्रतिशत की वृद्धि दर तथा एक करोड नौकरियां चाहता है. बायोकॉन की चेयरपर्सन तथा प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि मुझे पता है कि कारपोरेट भारत के कई लोग इससे निराश हैं. आज हम वैश्विक स्तर पर जटिल आर्थिक माहौल में हैं. राजन ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की मजबूत समझ तथा अपने अनुभव से इनमें से कई मुद्दों से निपटने में सफलता पाई.
राजन के ‘बुनियादी बदलावों’ से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा : उद्योग जगत
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के ‘मुश्किल’ समय पर ‘जाने’ से चिंतित भारतीय उद्योग जगत ने चिंता जताई है पर उसका कहना है कि रिजर्व बैंक प्रमुख के रूप मे राजन ने जो बुनियादी सुधार किए हैं उनके सकारात्मक नतीजे आगे चलकर दिखाई देंगे. उद्योग जगत का कहना है कि वैश्विक कारक भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए कई तरह के जोखिम पैदा कर रहे हैं. उद्योग मंडल एसोचैम ने उम्मीद जताई कि राजन को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा जाएगा. हालांकि, एसोचैम ने इसके साथ ही कहा कि जिस तरह से सार्वजनिक रूप से इस मुद्दों पर बहस छिडी उससे बचा जा सकता था. एक अन्य उद्योग मंडल फिक्की का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था में राजन का योगदान एक अच्छा उदाहरण है और उन्हें उनके शानदार काम के लिए हमेशा याद किया जाएगा. फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने बयान में कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार राजन द्वारा गवर्नर के रूप में किये गये अच्छे कामों को आगे बढाने के लिए जल्द अच्छा हाथ मिल जाएगा. नेवतिया ने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर बैंकिंग नियमनों, मौद्रिक नीति तथा विनिमय दरों में कई तरह के बुनियादी बदलाव लेकर आए, जिनसे आगे चलकर अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से फायदा होगा.
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