राजधानी, दुरंतो और शताब्दी ट्रेनों के यात्रियों को अब इस नयी किराया प्रणाली के तहत 10 से 50 प्रतिशत तक अधिक किराया देना होगा. यह व्यवस्था कल से लागू हो रही है. रेलवे का मकसद इसके जरिये चालू वित्त वर्ष में 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाना है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए के मित्तल ने कहा, ‘हमने मांग के आधार पर किराया प्रणाली परीक्षण के आधार पर शुरू की है. हम कुछ समय बाद इसकी समीक्षा करेंगे और देखेंगे कि क्या आवश्यक उपाय किए जा सकते हैं.’
मित्तल ने कहा कि इस फैसले से 81 ट्रेनों के किरायों पर असर पडेगा. रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) मोहम्मद जमशेद ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ट्रेन अभी भी देश में परिवहन का सबसे सस्ता साधन है. जमशेद ने कहा, ‘फिलहाल हमें यात्री खंड में 33,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है क्योंकि हम प्रति किलोमीटर सिर्फ 36 पैसे लेते हैं.’ चालू वित्त वर्ष में यात्री खंड से 51,000 करोड़ रुपये की आय का लक्ष्य है, जो पिछले वित्त वर्ष में 45,000 करोड़ रुपये था.
ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि यह बढोतरी गरीब रथ या जनशताब्दी ट्रेनों में नहीं की गई है, जिनका इस्तेमाल आम लोग करते हैं. बढोतरी राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में हुई है. इनका इस्तेमाल वे लोग करते हैं जो ऐसा करने में सक्षम हैं.
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