गौरतलब है कि 24 अक्तूबर 2016 को टाटा संस के निदेशक मंडल की बैठक के बाद मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया था लेकिन वह कंपनी के निदेशक पद पर बने हुए थे. असाधारण आम बैठक के लिए जारी एक नोट में टाटा संस ने कहा, ‘मिस्त्री को हटाये जाने के तुरंत बाद उन्होंने कंपनी पर कुछ निराधार आरोप लगाये हैं. इससे ना सिर्फ टाटा संस लिमिटेड और इसके निदेशकों पर आक्षेप लगे हैं बल्कि पूरे टाटा समूह की साख पर बट्टा लगा है. गोपनीय दस्तावेजों समेत कई आंतरिक संचार पत्रों को सार्वजनिक किया गया. मिस्त्री के आचरण से टाटा समूह और इसके शेयरधारकों और कर्मचारियों समेत हितधारकों को नुकसान पहुंचा है.’
इस नोट में कहा गया है, ‘इसका परिणाम यह हुआ कि टाटा समूह की कंपनियों की बाजार स्थिति कमजोर हुई है, इससे टाटा संस लिमिटेड को नुकसान हुआ है और अप्रत्यक्ष तौर पर इसके शेयरधारकों का नुकसान हुआ है.’ नोटिस में कहा गया है कि मिस्त्री का टाटा संस के निदेशक पद पर बने रहना अब ‘किसी भी हालत में उचित’ नहीं है इसलिए उन्हें इस पद से हटाया जाना चाहिए.
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