Aadhaar Card: ‘बिना आधार खाता नहीं खोलेंगे’ बैंक की जिद पर कोर्ट ने कहा, अब ₹50,000 भरो

Aadhaar Card: Yes Bank की ओर से आधार कार्ड को अनिवार्य बताकर खाता खोलने में की गई देरी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने इसे अनुचित ठहराते हुए बैंक को ₹50,000 मुआवजा देने का आदेश दिया. मामला जनवरी 2018 से जुड़ा है.

By Abhishek Pandey | July 5, 2025 2:34 PM
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Aadhaar Card: भारत में आधार कार्ड को पहचान के एक यूनिवर्सल डॉक्यूमेंट के रूप में पेश किया गया था, लेकिन इसके इस्तेमाल की वैधता और सीमाएं सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक ‘के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार’ फैसले (2019) में साफ कर दी गई थीं. अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि आधार को हर जगह अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता, खासकर बैंक खाता खोलने जैसे मामलों में.

मामला क्या था?

एक याचिकाकर्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने Yes Bank पर खाता खोलने में अनुचित देरी का आरोप लगाया. याचिकाकर्ता ने कहा कि बैंक खाता खोलने के लिए आधार कार्ड (Aadhaar Card) को अनिवार्य बताया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार (2019) में यह साफ कर दिया गया था कि आधार कार्ड को बैंक खाता खोलने के लिए जरूरी नहीं बनाया जा सकता.

बैंक ने क्यों रोका खाता खोलना?

जनवरी 2018 में याचिकाकर्ता ने Yes Bank से संपर्क किया ताकि अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर देने के लिए कंपनी के नाम से बैंक खाता खुलवा सके. लेकिन बैंक ने बिना आधार कार्ड के खाता खोलने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया, लेकिन बैंक टस से मस नहीं हुआ. मजबूर होकर जून 2018 में याचिका दाखिल की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2018 को दिए गए अंतिम फैसले में यह साफ कर दिया था कि आधार कार्ड बैंक खाता खोलने के लिए जरूरी नहीं है. इससे पहले अप्रैल 2018 तक, केवल आधार के लिए आवेदन का प्रमाण ही मांगा जा सकता था. लेकिन Yes Bank ने इस आदेश के बाद भी खाता खोलने में टालमटोल की और जनवरी 2019 तक अकाउंट नहीं खोला.

84 वर्षीय महिला और बेटी को हुआ नुकसान

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि कंपनी के संस्थापक निदेशक की मृत्यु हो चुकी थी, और उनके पीछे उनकी 84 साल की पत्नी, एक बेटी और कंपनी (याचिकाकर्ता) ही बचे थे. प्रॉपर्टी को किराए पर देने की योजना थी, लेकिन खाता न होने के कारण जनवरी 2018 से जनवरी 2019 तक एक रुपया भी किराया नहीं मिल सका. उन्होंने दावा किया कि इलाके में किराया ₹1.5 लाख प्रति महीना था, इस तरह करीब ₹10 लाख का नुकसान हुआ और उतनी ही राशि का मुआवजा भी मांगा.

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने माना कि 26 सितंबर 2018 के बाद आधार कार्ड की मांग का कोई औचित्य नहीं था. हालांकि ₹10 लाख का मुआवजा अत्यधिक बताया गया और खारिज कर दिया. बैंक ने मुआवजे के मुद्दे पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया, जो कोर्ट ने गंभीरता से लिया. यह भी माना गया कि इस प्रॉपर्टी से मिलने वाला किराया वरिष्ठ नागरिक और उनकी बेटी के लिए सहारा बन सकता था.

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को बिना किसी कारण अनावश्यक रूप से परेशान किया गया. फिर Yes Bank को ₹50,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया गया, जिसे आठ हफ्तों में चुकाना होगा. साथ ही कोर्ट ने केस की कार्यवाही को समाप्त किया. इस केस में कोर्ट ने यह साफ किया कि गलत कानूनी समझ के कारण आम आदमी को तकलीफ नहीं उठानी चाहिए. चाहे वो सरकारी दफ्तर हो या निजी बैंक, कानून सबके लिए एक बराबर है.

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