Action on Corruption: घोटालेबाजों की पोल खोलेंगे सेबी और आईसीएआई, होगी बड़ी कार्रवाई

Action on Corruption: सेबी और ICAI ने वित्तीय घोटालों पर सख्ती के लिए हाथ मिलाया है. ICAI एक टास्क फोर्स बनाकर सेबी को तकनीकी और शोध सहायता देगा. इस पहल से वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी, निवेशकों के हितों की रक्षा होगी और बाजार में धोखाधड़ी पर प्रभावी अंकुश लगेगा. यह कदम खुदरा निवेशकों की सुरक्षा और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को मजबूत करने की दिशा में अहम है.

By KumarVishwat Sen | May 3, 2025 7:57 PM
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Action on Corruption: भारत में भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. देश की दो बड़ी संस्थाएं भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (ICAI) अब देश की अर्थव्यवस्था को खोखला बनाने वाले घोटालेबाजों की पोल खोलेंगे. इसके लिए ये दोनों संस्थाएं सेबी और आईसीएआई मिलकर काम करेंगी. इस नई पहल के तहत ICAI अब सेबी को तकनीकी और अनुसंधान सहयोग प्रदान करेगा, ताकि वित्तीय अनियमितताओं को पहचानने और रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें.

सेबी अध्यक्ष के साथ अहम बैठक

ICAI अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा ने जानकारी दी कि इस दिशा में पहले ही एक हाई लेवल मीटिंग हो चुकी है, जिसमें सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय भी मौजूद थे. बैठक में निवेशकों के हितों की सुरक्षा, वित्तीय पारदर्शिता और अनियमितताओं पर सख्ती जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई. इस सहयोग के तहत ICAI एक विशेष कार्य समूह (स्पेशल टास्क फोर्स) का गठन करेगा, जो धोखाधड़ी के पैटर्न पर शोध पत्र तैयार करेगा. यह रिपोर्ट सेबी की जांचों में अहम भूमिका निभाएगी.

खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी

हाल के वर्षों में शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. महामारी के बाद लाखों नए निवेशक शेयर बाजार से जुड़े हैं, लेकिन इसके साथ ही धोखाधड़ी, शेयरों की कीमतों में हेरफेर और गलत तरीके से मुनाफा कमाने के मामलों में भी इजाफा हुआ है. यह स्थिति ना केवल आम निवेशकों के लिए खतरा है, बल्कि बाजार की साख और स्थिरता के लिए भी चुनौतीपूर्ण है.

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पारदर्शिता और जागरूकता की दिशा में कदम

सेबी और आईसीएआई का यह संयुक्त प्रयास बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने, वित्तीय रिपोर्टिंग को सुदृढ़ करने और निवेशकों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है. यह कदम भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और मज़बूत बनाएगा तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई का संकेत देगा.

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