बैंकों का मुनाफा दांव पर, उदय कोटक ने खोली निगेटिव स्प्रेड की पोल

Banking Crisis: उदय कोटक ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते जोखिमों को लेकर चेतावनी दी है. बैंक महंगे होलसेल डिपॉजिट (9%) पर फंड जुटा रहे हैं, लेकिन 8.5% की दर पर लोन दे रहे हैं, जिससे उनका मार्जिन निगेटिव हो सकता है. CASA डिपॉजिट की ग्रोथ कम होने से बैंकिंग मॉडल दबाव में आ गया है. अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो लोन दरें और घट सकती हैं, जिससे बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी को नुकसान होगा. क्या भारतीय बैंकिंग सिस्टम इस संकट से उबर पाएगा?

By KumarVishwat Sen | March 29, 2025 7:50 PM
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Uday Kotak: कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और जाने-माने बैंकर उदय कोटक ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते जोखिमों को लेकर तीखी चेतावनी दी है. 28 मार्च 2025 को एक्स पर जारी अपने बयान में उन्होंने डिपॉजिट की ऊंची लागत और कमजोर मार्जिन के चलते बैंकिंग मॉडल की नींव हिलने की बात कही है. उनकी यह टिप्पणी 29 मार्च 2025 तक चर्चा का केंद्र बनी हुई है.

रिटेल डिपॉजिट की वृद्धि पर सिस्टम सुस्त

उदय कोटक के मुताबिक, प्रमुख बैंक एक साल की होलसेल डिपॉजिट को 8% की दर पर ले रहे हैं. इसमें कैश रिजर्व रेश्यो (CRR पर कोई ब्याज नहीं), स्टैचुटरी लिक्विडिटी रेश्यो (SLR), डिपॉजिट इंश्योरेंस और प्रायोरिटी सेक्टर की लागत जोड़ने पर यह 9% से ऊपर पहुंच जाती है. ऑपरेशनल खर्च (opex) इसे और भारी बनाता है. दूसरी ओर, सस्ते रिटेल डिपॉजिट (CASA) की वृद्धि पूरे सिस्टम में सुस्त है. चौंकाने वाली बात यह है कि बैंक 8.5% की फ्लोटिंग रेट पर होम लोन दे रहे हैं, जो उनकी 9% की उधारी लागत से कम है. इसे “निगेटिव स्प्रेड” करार देते हुए कोटक ने बैंकिंग की टिकाऊपन पर सवाल उठाया.

बैंकों के लिए खतरे की घंटी

एक्स पर यूजर्स ने इसे गंभीरता से लिया. @jThiyagu ने इसे “क्रिटिकल बैंकिंग रिस्क” बताते हुए कोटक के विश्लेषण की तारीफ की और कहा कि यह बैंकों के लिए खतरे की घंटी है. मौजूदा हालात में, जब डिपॉजिट ग्रोथ ठप है और ब्याज दरें दबाव बना रही हैं, यह बयान नीति निर्माताओं और बैंकों के लिए कड़ा संदेश है. क्या भारतीय बैंकिंग सिस्टम इस संकट से उबर पाएगा या यह एक बड़े बदलाव की शुरुआत है?

बैंकिंग सेक्टर की मौजूदा स्थिति

उदय कोटक के अनुसार, बैंक महंगी दरों पर डिपॉजिट जुटा रहे हैं, लेकिन सस्ते में लोन दे रहे हैं. इससे उनके लाभ पर सीधा असर पड़ रहा है.

  • बैंक 8% पर होलसेल डिपॉजिट ले रहे हैं, जिससे प्रभावी लागत 9% से अधिक हो जाती है.
  • वहीं, बैंक 8.5% की फ्लोटिंग दर पर लोन दे रहे हैं.
  • इस असंतुलन के कारण बैंकों का मार्जिन -0.5% तक नेगेटिव हो सकता है.

बैंकिंग बिजनेस मॉडल पर खतरा

बैंकों की आय और व्यय के इस असंतुलन का मुख्य कारण CASA (Current Account, Savings Account) डिपॉजिट में कमी है. बैंक महंगे होलसेल डिपॉजिट लेने को मजबूर हैं, जिससे उनकी लागत बढ़ रही है. इसके अतिरिक्त, बैंकिंग लागत बढ़ाने वाले कई कारक हैं.

  • CRR (कैश रिजर्व रेशियो): इस पर बैंकों को कोई ब्याज नहीं मिलता.
  • SLR (Statutory Liquidity Ratio): इसमें कम रिटर्न वाले सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करना होता है.
  • डिपॉजिट इंश्योरेंस और प्रायोरिटी सेक्टर लोन जैसी बाध्यताएं.

रेपो रेट कटौती से गहरा सकता है संकट

अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो होम लोन दरें और घट सकती हैं. इससे बैंकों की लोन से होने वाली कमाई और कम हो सकती है, जिससे उनकी प्रॉफिटेबिलिटी और घटने का खतरा रहेगा.

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बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी पर असर

अगर बैंकों को महंगे रेट पर डिपॉजिट जुटाने पड़ते हैं और लोन दरें कम होती हैं, तो उनका लाभ कम हो सकता है.

  • ऑपरेशनल कॉस्ट (Opex) और क्रेडिट कॉस्ट बढ़ने से बैंकों का बिजनेस मॉडल प्रभावित हो सकता है.
  • बैंक लिक्विडिटी संकट का शिकार हो सकते हैं.

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