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ईपीएफओ के अनुसार, ‘लॉकडाउन’ की पाबंदियों के बावजूद ईपीएफओ ने अप्रैल-मई के दौरान 36.02 लाख दावों के निपटान किये और अपने सदस्यों को 11,540 करोड़ रुपये बांट दिये. बयान में कहा गया है कि कुल दावों में से 15.54 लाख दावे कोविड-19 संकट से राहत देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत ईपीएफ से पैसा निकालने की दी गयी अनुमति से संबद्ध थे. इसके तहत कुल 4,580 करोड़ रुपये बांटे गये.
बता दें कि इन कठिन समय में ईपीएफओ सदस्यों खासकर जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है, उन्हें भविष्य निधि खाते से निकालने की अनुमति से बड़ी राहत मिली. कोरोना वायरस महामारी से राहत देने के लिए पीएमजीकेवाई के तहत अंशधारकों को तीन महीने का वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ते) या सदस्यों के खाते में जमा रकम का 75 फीसदी (जो भी कम हो) निकालने की अनुमति दी गयी थी. इससे कई कामगारों को राहत मिली.
आंकड़ों के अनुसार, कुल दावाकर्ताओं में 74 फीसदी से अधिक वे लोग थे, जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है. ईपीएफओ के अनुसार करीब 24 फीसदी दावा उन लोगों के थे, जिनका वेतन 15,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच था. वहीं 50,000 रुपये से अधिक के वेतन वाली श्रेणी में दावा केवल 2 फीसदी रहा.
बयान के अनुसार ‘लॉकडाउन’ के दौरान सामाजिक दूरी का पालन करते हुए ईपीएफओ ने 50 फीसदी से कम कर्मचारियों के साथ काम किया. कर्मचारियों की कमी के बावजूद दावों का निपटान समय पर किया गया. कोरोना संकट से निपटने के लिए किये गये दावों के निपटान करीब 10 दिन से कम कर लगभग 3 दिन में किये गये.
Posted By : Vishwat Sen
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