सैलरी चाहे जैसी भी हो, 50-30-20 फॉर्मूला अपनाकर बन सकते हैं लखपति

Budget Planning: चाहे आपकी सैलरी कम हो या ज्यादा, 50-30-20 नियम का पालन करके आप अपने पैसे को सही ढंग से मैनेज कर सकते हैं. इससे न केवल आपका वर्तमान सुरक्षित रहेगा, बल्कि भविष्य में भी आपको आर्थिक मजबूती मिलेगी.

By Abhishek Pandey | February 26, 2025 2:45 PM
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Budget Planning: आज के समय में सही फाइनेंशियल प्लानिंग बहुत जरूरी है. चाहे सैलरी कितनी भी हो, अगर सही तरीके से बजट बनाया जाए, तो आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा. 50-30-20 का नियम (50-30-20 Rule) आपके पैसे को मैनेज करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है. इस नियम का पालन करके आप वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Freedom) प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं इस नियम को लागू करने का सही तरीका.

क्या है 50-30-20 नियम?

यह नियम आपकी सैलरी को तीन हिस्सों में बांटने की सलाह देता है.

  • 50% – जरूरतों पर खर्च (Needs)
  • 30% – इच्छाओं पर खर्च (Wants)
  • 20% – बचत और निवेश (Savings & Investments)

1. जरूरतों पर खर्च – 50%

आपकी आय का 50% उन जरूरी खर्चों पर जाना चाहिए, जिनके बिना आपका जीवन मुश्किल हो सकता है. इनमें किराया, घर का राशन, बिजली-पानी का बिल, बच्चों की स्कूल फीस, ईएमआई, इंश्योरेंस प्रीमियम और मेडिकल खर्च शामिल हैं.

2. इच्छाओं पर खर्च – 30%

आपकी कमाई का 30% ऐसे खर्चों के लिए होना चाहिए, जो आपकी लाइफस्टाइल से जुड़े होते हैं, लेकिन अनिवार्य नहीं होते. जैसे- घूमना-फिरना, रेस्टोरेंट में खाना, महंगे गैजेट्स, शौक से जुड़ी चीजें आदि. इस हिस्से में खर्च को सीमित रखना जरूरी है ताकि आप अपनी बचत पर असर न डालें.

3. बचत और निवेश – 20%

आपकी आय का 20% बचत और निवेश में जाना चाहिए. यह पैसा आपकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी और भविष्य की जरूरतों के लिए होता है. इस हिस्से में म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ, स्टॉक्स, रिटायरमेंट फंड और इमरजेंसी फंड जैसी चीजें शामिल होनी चाहिए. कम से कम 6 महीने के खर्च के बराबर इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं.

50-30-20 नियम अपनाने के फायदे

  • आर्थिक संतुलन बना रहता है – यह नियम खर्च, बचत और निवेश में संतुलन बनाए रखता है.
  • अनावश्यक खर्च पर नियंत्रण – आप गैरजरूरी खर्चों को सीमित कर पाते हैं.
  • भविष्य की सुरक्षा – बचत और निवेश से फाइनेंशियल सिक्योरिटी मिलती है.
  • आपातकालीन स्थितियों से निपटने में मदद – इमरजेंसी फंड होने से अचानक आई आर्थिक चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.

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