मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है जिसके चलते इसे महामारी घोषित कर दिया गया है. इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार जारी सुस्ती की वजह से दुनिया भर के निवेशक प्रभावित हुए हैं. अमेरिका में कोरोना वायरस के फैलने को लेकर बढ़ती चिंता और इस वजह से वैश्विक बाजारों में हो रही गिरावट ने भारतीय बाजारों को भी प्रभावित किया है. बाजार में सुस्ती गहराने के डर से एफपीआई घरेलू शेयर और बांड दोनों बाजारों से लगातार निकासी कर रहे हैं.
अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने नीतिगत दरों में 0.5 फीसदी की अचानक कटौती कर दी है. इससे पता चलता है कि फेडरल रिजर्व को अमेरिका में आर्थिक सुस्ती की आहट मिल रही है. भारत में येस बैंक के संकट से भी बाजार में उत्साह की स्थिति नहीं है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के ताजा अनुसार, फरवरी महीने में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू बाजार में 23,102 करोड़ रुपये लगाए थे. साल 2019 में देश में 82,575 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश हुआ था.
एफडीआई और एफपीआई में फर्क
फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) में कोई विदेशी कंपनी या व्यक्ति किसी दूसरे देश की किसी कंपनी के बिजनेस में निवेश करके उसमें अपनी हिस्सेदारी खरीदते हैं. फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (FPI) सिर्फ और सिर्फ निवेश के इरादे से किया जाता है. इसमें निवेशक अपना पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए अलग-अलग प्रोडक्ट्स में निवेश करता है. इसका उद्देश्य कंपनी के प्रबंधन में शामिल होना नहीं होता.
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