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दिसंबर में जारी रहा विस्तार
एचएसबीसी की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार दिसंबर में भी जारी रहा. हालांकि, पिछले महीने वृद्धि की रफ्तार धीमी रही. उत्पादन और नए ऑर्डर दोनों की वृद्धि में नरमी आई है. हालांकि, नवंबर से भविष्य का उत्पादन सूचकांक बढ़ा है. वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने के बावजूद क्षेत्र ने दिसंबर में मजबूत विस्तार दर्ज किया है. पैनल में शामिल विश्लेषकों का कहना है कि अनुकूल बाजार परिस्थितियों, मेलों और प्रदर्शनियों की वजह से दिसंबर में विनिर्माण उत्पादन बढ़ा है. दिसंबर के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में वस्तुओं के उत्पादकों की अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर प्राप्तियों में बढ़ोतरी हुई है.
उत्पादन लागत हुई कम
सर्वेक्षण कहता है कि कंपनियों को एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया और उत्तरी अमेरिका से उल्लेखनीय लाभ मिला है. मूल्य के मोर्चे पर बात की जाए, तो उत्पादन लागत की वृद्धि पिछले लगभग साढ़े तीन साल में दूसरी सबसे कम दर से बढ़ी है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि आगामी साल के उत्पादन परिदृश्य को देखा जाए, तो भारतीय विनिर्माता तीन माह के लिए काफी उत्साहित हैं. विज्ञापन, बेहतर ग्राहक संपर्क और नई पूछताछ की वजह से दिसंबर में कारोबारी भरोसा बढ़ा है.
नवंबर में बेहतर थे हालात
नवंबर महीने में भारत में विनिर्माण गतिविधियां शानदार रही थीं. मुख्य रूप से बढ़ती कीमतों का दबाव कम होने और ग्राहकों की मजबूत मांग से गतिविधियां बेहतर हुईं. एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक नवंबर में 56 थी. अक्टूबर में यह आठ महीने के निचले स्तर 55.5 पर था. एसएंडपी के अनुसार, विनिर्माण गतिविधियां बेहतर होने का एक मुख्य कारण बढ़ती कीमतों के दबाव का कम होना बताया गया था. हालांकि, नवंबर में औसत क्रय लागत फिर से बढ़ गई थी, मुद्रास्फीति की दर मौजूदा 40-महीने की वृद्धि के क्रम में सबसे कम थी. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि भारत के विनिर्माण उद्योग ने नवंबर में अपना मजबूत प्रदर्शन कायम रखा. उत्पादन में वृद्धि की गति फिर से बढ़ गई. उन्होंने कहा कि कंपनियों की घरेलू तथा विदेश दोनों जगह से नए व्यवसाय को सुरक्षित करने की क्षमता, इस क्षेत्र की सफलता के लिए केंद्रीय बनी थी. निरंतर नए ऑर्डर मिलना क्षेत्र के श्रम बाजार के लिए अच्छी खबर बनी. भर्तियां भी बढ़ी थी.
(भाषा इनपुट के साथ)
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