फास्टैग का फायदा
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रणाली है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का इस्तेमाल करती है. वाहन पर फास्टैग लगाने से टोल प्लाजा पर बिना रुके टोल का भुगतान किया जा सकता है. इससे नकद लेन-देन की आवश्यकता समाप्त होती है और वाहनों की लंबी कतारों से बचा जा सकता है.
फास्टैग का नया नियम और जुर्माना
महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं होगा, उन्हें टोल का दोगुना भुगतान करना पड़ेगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करेगा कि वाहन चालक समय रहते फास्टैग का उपयोग करना शुरू करें. यह नियम सभी निजी और व्यावसायिक वाहनों पर लागू होगा.
नए नियम के पीछे सरकार का उद्देश्य
महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम को कम करना, ईंधन की खपत को नियंत्रित करना और टोल कंट्रोल में पारदर्शिता लाना है. इसके साथ ही, महाराष्ट्र सरकार डिजिटल इंडिया अभियान के तहत डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह नियम न केवल डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य के राजस्व संग्रह को भी अधिक सटीक बनाएगा. टीवी9 हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम महाराष्ट्र सरकार के स्मार्ट और डिजिटल टोल प्लाजा के उद्देश्य को साकार करेगा.
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फास्टैग के नए नियम की चुनौतियां
महाराष्ट्र सरकार का यह निर्णय टोल प्लाजा पर यातायात को व्यवस्थित करने, कागजी लेन-देन की आवश्यकता समाप्त करने और समय की बचत में सहायक होगा. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और फास्टैग खरीदने की प्रक्रिया में चुनौतियां आ सकती हैं.
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