Interest Rates: दुनिया के सबसे बड़े संपन्न देश अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दरों का ऐलान कर दिया है. उसने लगातार सातवीं बार ब्याज दरों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर को 5.25 से 5.50 फीसदी के बीच यथावत रखने का फैसला किया है. हालांकि, उम्मीद यह की जा रही थी, लोन को सस्ता करने के लिए अमेरिकी फेडरल ब्याज दरों में कुछ कटौती करेगा, लेकिन उसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरह ही ब्याज दर में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. महंगाई को 4.5 फीसदी पर लाने के लिए आरबीआई ने ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक की ओर से उम्मीद के विपरीत ब्याज दर में कटौती नहीं करना एक बड़ा सवाल बन गया है. सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर फेडरल रिजर्व लगातार सात बार से ब्याज दर में कटौती क्यों नहीं कर रहा है?
क्या कहता है फेडरल रिजर्व
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने नीतिगत ब्याज दरों की घोषणा करते हुए कहा है कि हम मौद्रिक नीति पर प्रतिबंधात्मक रुख बनाए हुए हैं, ताकि डिमांड को सप्लाई के अनुरूप रखा जा सके और महंगाई के दबाव को कम किया जा सके. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि आर्थिक घटनाक्रमों की संक्षिप्त समीक्षा के बाद मेरे पास मौद्रिक नीति के बारे में कहने के लिए और कुछ होगा. पॉवेल ने कहा कि इस साल अब तक महंगाई के आंकड़ों ने उनके अंदर अधिक आत्मविश्वास पैदा नहीं किया. फेडरल रिजर्व ने इसी हफ्ते अपनी मौद्रिक नीति बयान में कहा कि हाल के महीनों में समिति के 2 फीसदी मुद्रास्फीति लक्ष्य की दिशा में मामूली प्रगति हुई है. समिति को उम्मीद नहीं है कि ब्याज दरों में कटौती करना तब तक उचित नहीं होगा, जब तक कि उसे यह विश्वास नहीं हो जाता कि महंगाई लगातार 2 फीसदी की ओर बढ़ रही है.
कर्ज के विशाल पहाड़ पर बैठा है अमेरिका
विशेषज्ञों की मानें, तो फेडरल रिजर्व की असली चिंता अमेरिका की है. अमेरिका इस समय कर्ज के विशाल पहाड़ पर बैठा है. इंडिया क्रॉनिकल डॉट इन के फाउंडर और एडिटर उमेश अग्रवाल ने कुछ हफ्ते पहले ही सोशल मीडिया मंच लिंक्डइन पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें कहा गया है कि आज एक अलग तरह के विस्फोट की आशंका है. अमेरिका कर्ज के एक विशाल पहाड़ पर बैठा है. अगर यह विस्फोट हुआ, तो परिणाम भयावह होंगे. पूरी दुनिया में अमेरिका के पास सबसे बड़ा कर्ज है. सरकार पर करीब 35 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा है. अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) करीब 28 ट्रिलियन डॉलर है और उसका कर्ज 35 ट्रिलियन डॉलर है. इस प्रकार अमेरिका का कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद का 123 फीसदी अधिक है.
Alarming ….. the US$ is likely to crash by 15-20% in 3-4 months. Be watchful with USD holdings. Slowly but surely those capable of objective thinking will thank their stars that PM Modi is at the helm of affairs & not some entitled brat. pic.twitter.com/q4pq7X1HCA
— anil kohli 🇮🇳 (@anilkohli54) June 10, 2024
कर्ज पर आईएमएफ पहले ही बजा दिया है खतरे की घंटी
लिंक्डइन और एक्स पर पोस्ट वीडियो में कहा गया है कि स्पष्ट रूप से अमेरिकी सरकार अपनी क्षमता से अधिक खर्च कर रही है और लगातार उधार ले रही है. जब भी सरकार के पास नकदी खत्म हो जाती है, तो वह और अधिक उधार लेती है. वह और अधिक बांड जारी करती है, लेकिन वह अपने खर्च को नियंत्रित नहीं कर पाती. यह एक खतरनाक संकेत है और अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी खतरे की घंटी बजा दी है. आईएमएफ ने कहा कि आगे चलकर अमेरिका का राजकोषीय घाटा ऊंचा रहने का अनुमान है, जिससे कर्ज लगातार बढ़ता जाएगा. इससे डॉलर के मुकाबले ब्याज दरें बढ़ेंगी और दुनिया के बाकी हिस्सों में वित्तपोषण लागत कम आएगी.
सीमा से बाहर कर्ज नहीं ले सकता अमेरिका
वीडियो में कहा गया है कि खतरे का संकेत साफ है कि आईएमएफ अमेरिका से कह रहा है कि सीमा से बाहर आप कर्ज नहीं ले सकते. इसका कारण यह है कि इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगा. अमेरिका अपने कर्ज को कम करने के लिए पूरी दुनिया के लिए ब्याज दर को बढ़ा सकता है, जो लोन को महंगा बना देगा. इसलिए अमेरिका ने एक नया रास्ता निकाला है कि वह अपने कर्ज में मामूली बढ़ोतरी करेगा. अब अगर अमेरिका ऐसा करता है, तो इसका असर अमेरिकी मुद्रा डॉलर समेत दुनिया भर के देशों की मुद्राओं पर दिखाई देगा.
अमेरिकी कर्ज में रोजाना 1 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी
वीडियो में कहा गया है कि पिछले महीनों के दौरान अमेरिका के कर्ज की बात करें, तो रोजाना उसके कर्ज में करीब 1 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. इसलिए कर्ज के ब्याज का भुगतान करना उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है. अमेरिका के कर्ज का ब्याज 870 बिलियन डॉलर के आसपास है, जो 822 बिलियन डॉलर के बजट से कहीं अधिक है और यही ब्याज दर अमेरिका के कर्ज को और अधिक बढ़ा देता है.
कहीं आमदनी से अधिक कर्ज तो नहीं ले रहा अमेरिका
वीडियो में बताया गया है कि इसे ऐसे समझा जा सकता है कि आपने अपार्टमेंट खरीदने के लिए होम लोन लिया. आम तौर होम लोन पर फ्लैट ब्याज दर लगाई जाती है. आर्थिक स्थिति के हिसाब से ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव होता रहता है. अब अगर आप होम लोन की ईएमआई का भुगतान करना शुरू करेंगे और 10 साल के बाद उसे चेक करेंगे, तो आप चौंक जाएंगे. आप देखेंगे कि आपका कर्ज काफी काफी कम गया है. हालांकि, इस दौरान आपने समय पर अपनी ईएमआई का भुगतान किया है. वर्षों तक भुगतान करने के बाद भी महत्वपूर्ण लोन का बोझ कम नहीं हुआ है, क्योंकि बैंक इस दौरान ब्याज वसूलते रहे.
और पढ़ें: छठा पूर्ण बजट पेश कर रिकॉर्ड बनाएंगी निर्मला सीतारमण, नागरिकों का जीवन बनेगा सुगम
यही क्लासिक लोन जाल की स्थिति है. जब आप बड़ी राशि उधार लेते हैं, तो आपकी आमदनी में वृद्धि नहीं होती और ब्याज में उतार-चढ़ाव होता है. जब ये तीनों चीजें होती हैं, तो संभावना है कि आपका लोन बढ़ जाएगा और अमेरिकी सरकार भी ऐसी ही स्थिति में है. इसे लेकर जेपी मॉर्गन चेस के सीईओ जेमी डिमन या बैंक ऑफ अमेरिका के सीईओ ब्रायन मोएनियन जैसे टॉप अमेरिकी बैंकर भी चिंतित हैं. वे सभी अमेरिका के बढ़ते लोन के बारे में चिंतित हैं. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने भी इस साल की शुरुआत में जो कहा था कि अमेरिकी सरकार इस पर विचार करे. यही वजह है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करने से कतरा रहा है.
और पढ़ें: तीन साल तक फास्ट ग्रोइंग इकोनॉमी बना रहेगा भारत, 6.7 फीसदी पर स्थिर रहेगी आर्थिक वृद्धि
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.
RBI Repo Rate: रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, RBI ने 5.5% पर रखा बरकरार, जानें क्या होगा प्रभाव
Satyapal Malik Net Worth: अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए सत्यपाल मलिक? प्रॉपर्टी और गोल्ड की पूरी जानकारी
अमेरिकी टैरिफ की धमकी से शेयर बाजार में गिरावट, सेंसेक्स और निफ्टी लुढ़के
राजस्थान सरकार स्टार्टअप्स को देगी 5 करोड़ का इनाम, 100 करोड़ का इक्विटी फंड