Flood of Favors: एनडीए सांसद ने आईडब्ल्यूएआई अफसर पर लगाए पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप, पीएमओ और सीवीसी से जांच की मांग

Flood of Favors: केंद्र सरकार की गंगा जलमार्ग परियोजना विवादों में है. सांसद राजेश वर्मा ने IWAI के उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह पर ड्रेजिंग ठेके में पक्षपात और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. उन्होंने PMO और CVC को इस संबंध में शिकायत पत्र भेजा है.

By Abhishek Pandey | May 14, 2025 1:52 PM
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Flood of Favors: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी गंगा जलमार्ग परियोजना इस वक्त विवादों में घिर गई है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लोकसभा सांसद राजेश वर्मा ने जल मार्ग प्राधिकरण (IWAI) के उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को चिट्ठी लिखी है. आरोप है कि गंगा नदी के ड्रेजिंग (गाद निकालने) के ठेके में बड़े स्तर पर पक्षपात और वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं.

खास’ कंपनी को फायदा, बाकी को सज़ा?

सांसद वर्मा के मुताबिक मुंबई की कंपनी नॉलेज मरीन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स लिमिटेड को गंगा के ड्रेजिंग टेंडर में बार-बार तरजीह दी गई. वर्मा ने दावा किया कि इस कंपनी को बाढ़ प्रभावित और संवेदनशील दीघा इलाके में काम सौंपा गया, लेकिन तय समय पर जरूरी ड्रेजर मशीनें नहीं लगाई गईं. हैरानी की बात यह है कि जहां बाकी ठेकेदारों को देरी पर पेनल्टी और नोटिस मिले, वहीं इस कंपनी को किसी भी तरह की चेतावनी नहीं दी गई. आरोप है कि ये सब सुनील कुमार सिंह के सीधे हस्तक्षेप की वजह से हुआ.

राजेश वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि एक अन्य हिस्से में कंपनी को भुगतान कर दिया गया, जबकि उसने साइट पर जरूरी उपकरण तैनात ही नहीं किए थे — जो कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का सीधा उल्लंघन है. वर्मा का कहना है कि नॉलेज मरीन के पास कुल ड्रेजिंग ठेकों का सिर्फ 33% हिस्सा था, लेकिन कंपनी को IWAI की कुल भुगतान राशि का 60% से ज्यादा हिस्सा मिल गया. उन्होंने इसे “वित्तीय पक्षपात” करार दिया.

निगरानी भी सवालों के घेरे में, अफसरों की तैनाती पर उंगली

सांसद ने निगरानी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. उनका आरोप है कि सुनील कुमार सिंह ने ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति की जो कंपनी के लिए ‘सुविधाजनक’ साबित हुए और इससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए. अपने पत्र में वर्मा ने लिखा है कि सिंह की कार्यशैली में “दुर्भावना” नजर आती है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार की बार-बार की नियमों की अनदेखी को नजरअंदाज किया गया, जिससे सरकारी पैसे का नुकसान हुआ और नमामि गंगे जैसे अहम मिशन को नुकसान पहुंचा.

फिलहाल, ना तो सुनील कुमार सिंह और ना ही नॉलेज मरीन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स लिमिटेड ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया दी है. गंगा ड्रेजिंग प्रोजेक्ट, सरकार के उस बड़े मिशन का हिस्सा है जिसके जरिए देश में इनलैंड वॉटर ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने का प्रयास किया जा रहा है.

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