क्या था मामला?
गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने साल 2012 में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) और इसके प्रवर्तकों गौतम अदाणी और राजेश अदाणी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आरोप था कि उन्होंने बाजार विनियमनों का उल्लंघन किया था और इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप भी लगाया गया था. इसके बाद मामले में अदाणी परिवार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
अदाणी परिवार ने अदालत में क्या दलील दी?
अदाणी परिवार ने 2019 में बंबई हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी और सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द करने की अपील की थी. इसमें उन्हें मामले से बरी करने से इनकार कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले की गहनता से सुनवाई की और दोनों उद्योगपतियों को मामले से बरी कर दिया.
अदालत का निर्णय और उसका महत्व
न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की अध्यक्षता में बंबई हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए गौतम अदाणी और राजेश अदाणी को राहत दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में धोखाधड़ी का कोई प्रमाण नहीं है और जब धोखाधड़ी का मामला नहीं बनता, तो आपराधिक साजिश का आरोप भी नहीं टिक सकता है.
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अदाणी समूह पर असर
हाईकोर्ट का यह फैसला अदाणी समूह के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि अदालत का फैसला उनके कारोबार और निवेशकों के विश्वास के लिए सकारात्मक संकेत देने वाला है. अदाणी समूह पहले ही कई बड़े उद्योगों में अपनी पकड़ बना चुका है और इस फैसले से उनकी प्रतिष्ठा को भी मजबूती मिली है.
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