GST परिषद भूमिका
जीएसटी कर व्यवस्था का संचालन करने और टैक्स स्लैब का निर्धारण करने के लिए सरकार ने जीएसटी परिषद का गठन किया है. इस जीएसटी परिषद में केंद्रीय वित्त मंत्री को अध्यक्ष और राज्यों के वित्त मंत्रियों को सदस्य के तौर पर नियुक्त किया जाता है. जीएसटी परिषद संघीय अर्थव्यवस्था में केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करता है. जीएसटी परिषद करों से संबंधित सभी मामलों पर कठिन निर्णय सर्वसम्मति से लेने के लिए सामंजस्यपूर्ण विचार-विमर्श के माध्यम से सहकारी संघवाद के सिद्धांतों पर काम कर रहा है.
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GSTN के जरिए राजस्व वसूली हुआ आसान
केंद्रीय बिक्री कर, राज्य बिक्री कर, वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) और चुंगी कर व्यवस्था समेत कई प्रकार के करों को मिलाकर बनाए गए जीएसटी के तहत राजस्व की वसूली करना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती थी. इसके लिए उसने जीएसटीएन यानी जीएसटी नेटवर्क तैयार किया, जिसके जरिए राजस्व की वसूली करना आसान हुआ. जीएसटी की सफलता दो चीज जीएसटीएन का मजबूत कामकाज और जीएसटी परिषद पर टिकी है. जीएसटीएन ने न केवल रजिस्ट्रेशन, कर भुगतान, अनुपालन को सुव्यवस्थित किया है, बल्कि कार्यकारी को डेटा प्रदान करके कर-चोरी रोकने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. वहीं, जीएसटी परिषद की ओर से गठित तकनीकी समितियां (कानून समिति और फिटमेंट समिति) और मंत्रियों के विभिन्न समूह (जीओएम) उद्योग के अनुरोधों की जांच करके संशोधन और स्पष्टीकरण के माध्यम से आवश्यक समाधान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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सात साल में GST से आए 95.58 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2017-18 में जीएसटी कलेक्शन: 7.19 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी कलेक्शन: 11.77 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी कलेक्शन: 12.22 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कलेक्शन: 11.36 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2021-22 में जीएसटी कलेक्शन: 14.76 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी कलेक्शन: 18.10 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2023-24 में जीएसटी कलेक्शन: 20.18 लाख करोड़ रुपये
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