पर्सनल लोन क्या है
आमतौर पर तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग पर्सनल लोन लेते हैं. पर्सनल लोन एक ऐसा कर्ज होता है, जो बहुत कम या बिना किसी दस्तावेज और सिक्योरिटी के दिया जाता है. इस लोन के पैसे को किसी भी वित्तीय उपयोग में लाया जा सकता है. पर्सनल लोन देने के लिए बैंक आवेदनकर्ता का पुनर्भुगतान क्षमता और क्रेडिट स्कोर की जांच करता है और इसके बाद कर्ज की पेशकश करता है. जब आप इसे स्वीकार करते हैं, तो पैसा आपके बैंक खाते में जमा हो जाता है.
पर्सनल लोन पर कितनी हैं ब्याज दरें
पर्सनल लोन के मामले में आवेदक की आमदनी, कारोबार, क्रेडिट स्कोर और कर्ज की अवधि समेत कई बिंदुओं के आधार पर ब्याज की दरें तय की जाती हैं. आमतौर पर पर्सनल लोन की ब्याज दरें फिक्स्ड रहती हैं. इसमें रेपो रेट में उतार-चढ़ाव के साथ बदलाव नहीं होता. इसके साथ ही, हर महीने पर्ननल लोन की ब्याज दर कम करने की विधि का इस्तेमाल करके बकाया लोन की शेष राशि पर ब्याज दर निर्धारित की जाती है. इस मामले में संपूर्ण कर्ज की राशि पर बकाया ब्याज ईएमआई में शामिल होता है.
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किसे मिलता है पर्सनल लोन
आपको पर्सनल लोन मिलेगा या नहीं, ये कई बातों पर निर्भर करता है. वैसे तो पर्सनल लोन में कॉलेटरल रखने की शर्त नहीं होती है, लेकिन फिर भी बैंक ग्राहक को कुछ पैरामीटर्स पर परखते हैं, जिसके बाद ही वो उसे लोन जारी करते हैं. इसमें आपकी उम्र, आपकी इनकम और आपका क्रेडिट स्कोर सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. आमतौर पर 15,000 से 25,000 रुपये महीना की सैलरी हो, तो बैंक आपको लोन दे देते हैं. बैंक ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप लोन लेकर चुकाने की स्थिति में हैं या नहीं और आपकी सैलरी के हिसाब से आपको कितना लोन जारी किया जा सकता है. 21 से 60 साल के बीच के लोगों को लोन जारी किया जाता है. साथ ही ये भी देखा जाता है कि आप अपनी नौकरी में कितने लंबे समय से हैं. आमतौर पर 1 साल के अनुभव को प्राथमिकता दी जाती है.
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