Impact of US: अमेरिका का टैरिफ वार, फिर भी भारत का एक्सपोर्ट रहेगा तैयार, एसबीआई ने दिया जवाब

Impact of US: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चिंताओं के बावजूद अमेरिकी टैरिफ जवाबी कार्रवाई का भारतीय निर्यात पर प्रभाव न्यूनतम रहने की संभावना है.

By Abhishek Pandey | February 17, 2025 9:02 AM
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Impact of US : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने के बावजूद भारतीय निर्यात पर इसका प्रभाव सीमित रहेगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि अमेरिका 15 से 20 प्रतिशत तक ऊंचे टैरिफ लागू करता है, तो भारतीय निर्यात में गिरावट केवल 3 से 3.5 प्रतिशत तक सीमित रहेगी.

निर्यात विविधीकरण से मिल सकती है राहत

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रभाव को भारत की रणनीतिक निर्यात नीति, उच्च मूल्य संवर्धन और नए व्यापार मार्गों की खोज के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है. भारत अपनी वैश्विक व्यापार निर्भरता को संतुलित करने के लिए निर्यात के विविधीकरण पर जोर दे रहा है.

अमेरिका भारत का शीर्ष निर्यात गंतव्य

अमेरिका वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के कुल निर्यात का 17.7 प्रतिशत हिस्सा रखता है. हालांकि, भारत अपनी व्यापार नीति को विकसित कर रहा है ताकि किसी एकल बाजार पर अधिक निर्भरता न रहे. यूरोप, मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत लगातार काम कर रहा है.

टैरिफ नीतियों में बदलाव

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ नीतियों में कुछ उतार-चढ़ाव देखा गया है. 2018 में भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ दर 2.72 प्रतिशत थी, जो 2021 में बढ़कर 3.91 प्रतिशत हो गई और 2022 में मामूली गिरावट के साथ 3.83 प्रतिशत हो गई. दूसरी ओर, भारत ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ दरों में अधिक वृद्धि की है, जो 2018 में 11.59 प्रतिशत थी और 2022 तक 15.30 प्रतिशत हो गई.

उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों पर जोर

भारत अब कच्चे माल की बजाय तैयार उत्पादों और उच्च मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. यह रणनीति न केवल निर्यात आय को बढ़ाती है, बल्कि भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी भी बनाती है, जिससे टैरिफ वृद्धि का प्रभाव कम होता है.

नए व्यापार मार्गों पर फोकस

रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैकल्पिक व्यापार मार्गों को विकसित करने पर काम कर रहा है, जो यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका को जोड़ते हैं. इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और व्यापार प्रक्रिया अधिक कुशल होगी.

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