एलएलपी के लिए आईटीआर फॉर्म को सरल बनाने का सुझाव
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने साझेदार फर्मों और सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) के लिए एक विशेष कर व्यवस्था के साथ ही आयकर रिटर्न फॉर्म को सरल बनाने का भी सुझाव दिया है. संस्थान ने शुक्रवार को कहा कि उसने बजट से पहले दिए अपने सुझाव में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय अनुकूल उपायों को प्रोत्साहित करने के लिए विवेकपूर्ण कर सुधारों की वकालत की है.
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लाभांश, ब्याज और कैपिटल गेन पर देना होगा टैक्स
आईसीएआई की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन रोकथाम रणनीतियों को बढ़ावा देने के लिए कर लाभ का प्रावधान भारत के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों में योगदान देगा और टिकाऊ व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर आर्थिक वृद्धि को भी गति देगा. आईसीएआई ने शेयरों और प्रतिभूतियों से होने वाली आमदनी दिखाने के लिए एक नए कॉलम का प्रस्ताव दिया है, जिसमें लाभांश, ब्याज या पूंजीगत लाभ से हुई आमदनी के संबंध में कर देनदारी के प्रावधान होंगे. संस्थान ने ई-फाइलिंग व्यवस्था में आईटीआर को दोषपूर्ण मानने के लिए शर्तों को तर्कसंगत बनाने और दोषपूर्ण रिटर्न को अमान्य मानने से पहले सुनवाई का मौका देने का सुझाव भी दिया है.
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