Foreign Reserves of India: पिछले सप्ताह 20 अक्टूबर तक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.36 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली. इसके बाद ये, 582.53 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि इससे पहले के सप्ताह में देश का कुल मुद्रा भंडार 1.153 अरब डॉलर बढ़कर 585.895 अरब डॉलर हो गया था.
अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. लेकिन पिछले साल वैश्विक घटनाक्रम से पैदा हुए दबावों के बीच आरबीआई ने रुपये की विनिमय दर में गिरावट को रोकने के लिए इस पूंजी भंडार का उपयोग किया था जिससे विदेशी मुद्राभंडार में कमी आई.
रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 20 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 4.15 अरब डॉलर घटकर 515.2 अरब डॉलर रह गयीं. डॉलर में अभिव्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में घट-बढ़ के प्रभावों को भी शामिल किया जाता है.
स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.85 अरब डॉलर बढ़कर 45.42 अरब डॉलर हो गया. आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 7 (सात) करोड़ डॉलर घ्राटकर 17.93 अरब डॉलर रहा. आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास रखा देश का मुद्रा भंडार 60 लाख डॉलर बढ़कर 4.98 अरब डॉलर हो गया.
विदेशी मुद्रा भंडार एक विशेष प्रकार का आर्थिक संरक्षण है जो किसी देश या व्यक्ति के पास विदेशी मुद्रा (उदाहरण के लिए, डॉलर, यूरो, आदि) की राशि होती है, जो उनके देश की मुद्रा से अलग है. यह विदेशी मुद्रा विभिन्न उद्योगों और निवेशों के लिए उपयोगी हो सकती है या फिर विदेशी यात्रा और व्यापारिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होती है. विदेशी मुद्रा भंडार एक देश की आर्थिक स्थिति को मापने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह उनकी आर्थिक संवेदनशीलता और अंतरराष्ट्रीय वित्त बाजार के साथ संबंध को दिखा सकता है.
हालांकि, आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल ने भू-राजनीतिक संघर्षों से उत्पन्न चुनौतियों सहित आर्थिक और वित्तीय हालात की शुक्रवार को समीक्षा की. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में निदेशक मंडल की 604वीं बैठक ऋषिकेश में हुई. केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बयान के अनुसार, निदेशक मंडल ने वैश्विक और घरेलू आर्थिक तथा वित्तीय घटनाक्रम की समीक्षा की, जिसमें उभरते भू-राजनीतिक संघर्षों से उत्पन्न चुनौतियां भी शामिल थी. बयान में कहा गया कि केंद्रीय निदेशक मंडल ने विभिन्न उप-समितियों के कामकाज, लोकपाल योजना और चुनिंदा केंद्रीय कार्यालय विभागों की गतिविधियों पर भी चर्चा की.
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