आरबीआई का कुल स्वर्ण भंडार पहुंचा 879.59 टन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास मार्च 2025 तक 879.59 टन सोना है, जो कि सितंबर 2024 में 854.73 टन था. यानि मात्र छह महीनों में 25 टन सोने की खरीद की गई है. यह कदम तब उठाया गया जब वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच सोने की कीमतों में 30% की वृद्धि देखी गई थी. यह सात वर्षों में सबसे बड़ी सालाना वृद्धि है.
स्थानीय और विदेशी भंडारण का संतुलन
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें से 511.99 टन सोना स्थानीय तिजोरियों में रखा गया है. वहीं, 348.62 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास सुरक्षित है, जबकि 18.98 टन सोना डिपॉजिट के रूप में रखा गया है. यह रणनीति देश को आपातकालीन आर्थिक स्थितियों में अधिक लचीलापन प्रदान करती है.
पाकिस्तान के पास अब भी 64.7 टन सोना
दूसरी ओर, पाकिस्तान के स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के पास जनवरी 2025 तक केवल 64.7 टन सोने का भंडार है. इस भंडार का मूल्य 5.854 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. हालांकि, दिसंबर 2024 में यह मूल्य 5.434 बिलियन डॉलर था, जिससे यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान ने सोने की कीमतों में वृद्धि से कुछ लाभ अवश्य उठाया है, लेकिन नई खरीदारी नहीं की.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटा, सोने की हिस्सेदारी बढ़ी
भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 के 705.78 अरब डॉलर से घटकर मार्च 2025 में 668.33 अरब डॉलर रह गया. हालांकि, इसमें सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 11.70% हो गई है, जो पहले 9.32% थी. इसका सीधा संकेत है कि भारत ने डॉलर भंडार में गिरावट के बावजूद सोने को प्राथमिकता दी.
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पाकिस्तान बनाम भारत: आर्थिक अंतर और रणनीतिक तैयारी
भारत की तुलना में पाकिस्तान की स्वर्ण रणनीति कमजोर दिखती है. भारत जहां आयात सुरक्षा और मुद्रा स्थिरता के लिए स्वर्ण भंडार को मजबूत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार और सोने का भंडार दोनों ही अस्थिर हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अभी भी आईएमएफ की सहायता पर निर्भर है और उसका स्वर्ण भंडार देश की वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करने में अपर्याप्त है.
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