Union Budget 2022 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी 2022 को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होगा. संसद में केंद्रीय बजट पेश करने के लिए सरकार की ओर से सभी प्रकार की तैयारियां कर ली गई हैं. उद्योग जगत और वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों से सलाह लेने के साथ ही राज्यों के साथ बैठकें भी हो गई हैं.
अभी हाल ही में वर्चुअल तरीके से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बजट पूर्व चर्चा में उद्योग जगत ने अपनी मंशा साफ कर दी है. उसने वित्त मंत्री के समक्ष इस साल के केंद्रीय बजट में आर्थिक सुधारों के साथ-साथ आम आदमी को राहत देने के उपाय करने की भी मांग की है. आइए, जानते हैं कि बजट पूर्व चर्चा में उद्योग जगत ने वित्त मंत्री के सामने कौन-कौन सी बातें रखी हैं…?
आर्थिक सुधार जरूरी, मगर निवेश भी आवश्यक
उद्योग जगत का मानना है कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उससे उबरने के लिए आर्थिक सुधार करना भी बेहद जरूरी है. इसके साथ ही, उद्योग जगत ने वित्त मंत्री को निवेश को बढ़ावा देने वाले उपायों पर बजट में फोकस करने की सलाह दी है. सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने सुझाव दिया है कि सरकार को खुद इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना चाहिए. इससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा.
म्युनिसिपल बॉन्ड मार्केट को बढ़ावा देना जरूरी
टीवी नरेंद्रन ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर खर्च बढ़ाने का सीधा असर अर्थव्यवस्था के बाकी क्षेत्रों पर भी पड़ता है. इसलिए सरकार को इसके रास्ते तलाशने चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को म्युनिसिपल बॉन्ड मार्केट को बढ़ावा देना चाहिए. इससे शहरी स्थानीय निकाय इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश के लिए खुद फंड जुटा सकेंगी.
‘विवाद से विश्वास’ स्कीम की बढ़ाई जानी चाहिए डेडलाइन
उद्योग संगठन एसोचैम का मानना है कि सरकार को ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम की समयसीमा बढ़ानी चाहिए. इसके अलावा, सीमा शुल्क से जुड़े मसलों के निपटारा के लिए भी एक स्कीम लानी चाहिए. एसोचैम के अध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने कहा कि हम ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम के लिए सरकार की सराहना करते हैं. इस स्कीम से बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटारे में मदद मिली है.
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पीबीजी और ईडीएम को एक साल तक बढ़ाने पर जोर
इसके साथ ही, पीएचडी चैंबर ने परफॉर्मेंस बैंक गारंटी (पीबीजी) और अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (ईडीएम) को और एक साल बढ़ाने का सुझाव दिया है. सरकार ने कोरोना की महामारी के दौरान परफॉर्मेंस सिक्योरिटी को 5-10 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया था. अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट में भी ढील दी गई थी. ये दोनों रियायतें 31 दिसंबर, 2021 को खत्म हो गई हैं.
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